लखनऊ। समाजवादी पार्टी में चाचा-भतीजे की जंग में आखिरी फैसला पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव को करना है। गुरुवार को संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाई गई है, जिसमें इस बाबत फैसला लिया जाएगा, वहीं इससे पहले बुधवार को दिल्ली में शिवपाल यादव ने बड़े भाई मुलायम से ढाई घंटे लंबी बैठक की। मंगलवार को अचानक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और अपने बेटे अखिलेश यादव से पार्टी प्रदेश अध्यक्ष का पद लेकर मुलायम सिंह ने इसे शिवपाल सिंह यादव को सौंप दिया। इसके बाद बतौर सीएम अखिलेश ने यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री शिवपाल से कई अहम विभाग वापस ले लिए। उससे पहले अखिलेश ने कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रजापति और राजकिशोर को बर्खास्त करने के अलावा शिवपाल के खास मुख्य सचिव दीपक सिंघल को हटा दिया था। samajwadi party
समाजवादी कुनबे में चाचा भतीजे के घमासान के बीच यूपी सरकार से शिवपाल के इस्तीफे की अटकलों ने जोर पकड़ लिया। हालांकि शिवपाल ने कहा कि वह नाराज नहीं हैं। जबकि लखनऊ में अखिलेश ने कहा कि कुछ फैसले लिए गए हैं और इस बारे में सबको जानकारी है। अखिलेश के ये लफ्ज तस्वीर साफ करने के लिए काफी थे कि चाचा से उनके रिश्ते कैसे हैं।
इस बीच बुधवार को मुलायम सिंह यादव से मिलने से पहले शिवपाल ने कहा कि मंत्रियों और अफसरों को हटाना मुख्यमंत्री का अधिकार है। उन्होंने कहा कि नेताजी उन्हें जो भी जिम्मेदारी देंगे उसे पूरी ताकत से निभाएंगे। वे अपना कोई भी कदम उठाने का फैसला मुलायम सिंह से मिलने के बाद ही करेंगे। वहीं अखिलेश बुधवार को मुलायम से मिलने दिल्ली नहीं पहुंचे। इस बीच चाचा-भतीजा के इस विवाद पर अखिलेश यादव ने कहा कि गुरुवार को लखनऊ में सपा संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद तमाम तरह की अटकलें खत्म हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि सरकार से जुड़े कुछ फैसले उनके हैं और कुछ उनके पिता और सपा प्रमुख नेताजी के। नेताजी का ही फैसला आखिरी होगा और वह सबको मंजूर है।
अखिलेश ने ये भी कहा कि यह परिवार का नहीं सरकार का मामला है। उन्होंने अमर सिंह का नाम लिए बिना निशाना साधते हुए कहा कि बाहरी लोगों के दखल से पार्टी कैसे चलेगी। वहीं शिवपाल-अखिलेश के बीच छिड़े घमासान पर प्रतिक्रिया देने से बचते हुए अमर सिंह ने कहा कि मैं मुलायमवादी हूं, समाजवादी नहीं। इसके अलावा फिलहाल कुछ नहीं कहूंगा।
यूपी सरकार के लोक निर्माण, राजस्व और सिंचाई समेत 8 विभाग छीने जाने से नाराज बताए जा रहे शिवपाल ने पार्टी में हुए अपने हालिया प्रमोशन यानि प्रदेश अध्यक्ष बनाये जाने पर कुछ भी नहीं कहा। इसके अलावा अपने करीबी दो मंत्रियों और एक बड़े नौकरशाह को हटाने पर भी वह बयान देने से बचे।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि असल में यह पूरी लड़ाई इमेज की है। अखिलेश बतौर सूबे के मुखिया अपनी सरकार के साथ साथ खुद अपनी बेदाग छवि को लेकर अचानक ही बेहद संजीदा हो गए हैं। यही कारण है कि चुनाव से पूर्व वह भ्रष्ट और दागदार चेहरों पर नकेल कसने की तैयारी में उन्होंने मंत्रीमंडल से गायत्री प्रजापति और राजकिशोर की छुट्टी कर पहला कदम उठाया। उसके बाद इसी कड़ी में प्रमुख सचिव दीपक सिंघल की भी छुट्टी कर दी।
इन फैसलों के बाद सपा में सियासी भूचाल आ गया। इसके पीछे शिवपाल के खास अफसर और मुलायम के खास गायत्री की छुट्टी रही। मुलायम ने मंत्रियों की बर्खास्तगी की खबर मीडिया से मिलने की बात कही। जिस पर अंदाजा लगाया गया कि मुलायम को मंत्रियों की छुट्टी की खबर नहीं थी। मुलायम सिंह ने अखिलेश की जगह शिवपाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर बैलेंस करने की कोशिश की। इसी बीच गायत्री प्रजापति ने दिल्ली में मुलायम से मुलाकात की तो दीपक सिंघल भी सपा प्रमुख के दरबार में हाजिर हुए। पूरा मामला मुलायम के घर दिल्ली तक जा पहुंचा। शिवपाल सिंह यादव से मुलायम ने दिल्ली में बैठक कर बातचीत की। इस दौरान फैसला सपा प्रमुख पर छोड़ा गया। मुलायम सिंह यादव शुक्रवार को दिल्ली से लखनऊ आयेंगे तब अपने फैसले का खुलासा करेंगे।
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