पटना। बिहार के बाहुबली आरजेडी नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन शनिवार को जेल से रिहा हो गया। सीवान के चर्चित तेजाब कांड में हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद शनिवार सुबह वह जेल से रिहा हुए। शहाबुद्दीन को कुछ दिनों पहले पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या के आरोपों में घिरने के बाद सीवान से भागलपुर जेल शिफ्ट किया गया था। बताया जा रहा है कि जेल से रिहा होने के बाद शहाबुद्दीन 1300 गाड़ियों के काफिले के साथ सीवान जाएंगे। RJD leader shahabuddinin
शहाबुद्दीन के जेल से बाहर आने की खबर मिलते ही सिवान प्रशासन ने चौकसी बढ़ा दी है। जगह-जगह सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है। राज्य में पहले ही कानून-व्यवस्था बदहाल है और वहां गुंडाराज फैला है। अब शहाबुद्दीन के रिहा होने से राज्य में अपराध बढ़ेंगे।उनकी रिहाई को लेकर बीजेपी ने आपत्ति जताई है। बीजेपी का कहना है कि जंगल राज के प्रतीक रहे शहाबुद्दीन के बाहर आने की खबर से लोग सहमे हुए हैं।
जेल से बाहर आने के बाद शहाबुद्दीन ने लालू प्रसाद यादव को अपना नेता बताया। उन्होंने कहा, ‘लालू यादव ही हमारे नेता हैं। मुझे उनके ही छत्रछाया में रहना है। मैं अपनी छवि क्यों बदलूं? मैं जैसा हूं, 26 साल तक लोगों ने मुझे इसी रूप में स्वीकार किया है। सब जानते हैं कि मुझे फंसाया गया था। कोर्ट ने मुझे जेल भेजा और अब कोर्ट ने ही मुझे आजाद किया है।
शहाबुद्दीन दो भाइयों की तेजाब से नहलाकर हत्या करने और बाद में हत्याकांड के इकलौते गवाह उनके तीसरे भाई राजीव रौशन की हत्या के मामले में भागलपुर जेल में बंद थे। दोहरे हत्याकांड में उन्हें हाई कोर्ट से फरवरी में ही जमानत मिल चुकी थी। बुधवार को चश्मदीद की गवाह की हत्या के मामले में भी अदालत ने उनकी जमानत मंजूर कर ली। इसके बाद उनकी रिहाई हुई।
बाहुबली बनने का सफ़र
शहाबुद्दीन के अपराध की कहानी 15 मार्च 2001 को लालू की पार्टी के एक नेता को गिरफ्तार करने आए पुलिस ऑफिसर संजीव कुमार को थप्पड़ मारने से शुरू हुई थी। इस घटना के बाद शहाबुद्दीन के समर्थकों और पुलिस के बीच काफी लंबी झड़प हुई। थप्पड़ मारने वाले शहाबुद्दीन के घर पुलिस ने छापेमारी की। इस दौरान शहाबुद्दीन के समर्थकों और पुलिस के बीच गई घंटों तक गोलीबारी हुई। इस घटना में 10 लोग मारे गए और पुलिस को खाली हाथ लौटना पड़ा। तभी से उन्हें एक बाहुबली के रूप में पहचाना जाने लगा।
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