सीरिया में एक बार फिर इजरायल के लड़ाकू विमानों ने जबरदस्त बमबारी की है। स्थानीय मीडिया के मुताबिक यह बमबारी शनिवार देर रात की गई। इसमें दमिश्क के निकट बड़े मिलिट्री एयरपोर्ट को निशाना बनाया गया है। आपको बता दें कि दमिश्क के पास स्थित अल माजेह में सीरिया का बड़ा मिलिट्री एयरबेस है।
इजरायल की तरफ से करीब पांच खास जगहों को निशाना बनाया गया। इसके लिए उसने कई मिसाइल भी दागे। हालांकि सीरियाई मीडिया ने इस तरह की खबरों का खंडन किया है। उसका कहना है कि इस तरह का कोई हमला शनिवार को नहीं किया गया।
स्थानीय मीडिया ने किया खंडन
मीडिया रिपोर्ट में यहां तक कहा गया है कि माजेह एयरपोर्ट पर न कोई हमला हुआ और न ही धमाकों की आवाज सुनी गई। लेकिन स्थानीय मीडिया ने ये जरूर कहा है कि जिस धमाके की बात कही जा रही है उसकी वजह इजरायल का हमला नहीं बल्कि एम्यूनिशन डिपो में हुआ इलेक्ट्रिक फेलयर है। इसकी वजह से वहां पर धमाका हुआ।
लोगों ने सुनी धमाकों की आवाज
दमिश्क के स्थानीय लोगों के मुताबिक उन्होंने रात में करीब चार धमाकों की आवाजें सुनी। यह धमाके काफी तेज थे और रात में अचानक तेज रोशनी हो गई थी। इन धमाकों की आवाज मिलिट्री एयरपोर्ट की तरफ से आ रही थी। स्थानीय लोगों के मुताबिक धमाकों की आवाज सुनकर उन्हें लगा कि वहां पर विमानों ने बमबारी की है। इसके बाद लगातार काफी देर तक एंबुलेंस और दमकल की गाडि़यों की आवाजें आती रही। कुछ लोगों ने अपने मोबाइल से इस पूरे वाकये को कैप्चर भी किया तो कुछ ने सोशल मीडिया पर भी इसकी जानकारी दी है।
सोशल मीडिया पर जारी वीडियो
इन वीडियो में एयरपोर्ट के निकट तेज आग लगती दिखाई दे रही है। स्टेट मीडिया का कहना है कि कुछ रिपोर्ट में यह कहा गया था कि इजरायल के लड़ाकू विमानों ने सीरिया के दूसरे ठिकानों और पोस्ट पर बमबारी की है। खबरों में सफाई दी गई है कि माजेह के इलाके में काफी दूतावास स्थित हैं और इसके ही निकट सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद का भी आवास है। लिहाजा एयरपोर्ट पर हमले का दावा पूरी तरह से झूठ है। आपको यहां पर बता दें कि सीरिया में ईरान और चरमपंथी संगठन हिज़बुल्लाह राष्ट्रपति बशर अल-असद के समर्थन में लड़ रहे हैं। ये दोनों ही इजराइल के खिलाफ हैं। इसलिए सीमा पर टकराव होता रहता है।
फरवरी 2018
सीरिया की सीमा में इजरायली एफ-16 लड़ाकू विमान मार गिराया गया। हालांकि इस हमले में विमान के पायलट की जान बच गई। यह विमान ईरानी ड्रोन के संचालन केंद्र को नष्ट करने के मकसद से सीरिया सीमा के भीतर गया था, तभी उस पर एंटी एयरक्राफ्ट गन से फायर हुआ। इसके बाद इजरायल ने पलटकर फिर हमला किया और सीरिया में स्थित दर्जन भर से ज्यादा सैन्य ठिकानों पर बमबारी की। सीरिया में जिन सैन्य ठिकानों पर हमला किया गया है उनमें से कई ईरानी ठिकाने हैं, जहां से लड़ाके असद सरकार के समर्थन में लड़ रहे हैं।
मई 2018
इजरायली रक्षा बलों (आईडीएफ) ने इजरायल के खिलाफ ईरानी रॉकेट हमले के जवाब में सीरिया में स्थित दर्जनों ईरानी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। वहीं इजरायल ने चार रॉकेटों को मिसाइल-रोधी प्रणाली से रोक दिया जबकि बाकी देश के अंदर आकर गिरे लेकिन वे लक्ष्यों को भेदने में नाकाम रहे।
जुलाई 2018
इजरायल ने सीरिया के टी-4 सैन्य अड्डे पर हवाई हमला किया। इस दौरान सीरिया की तरफ छह मिसाइलें भी दागी गईं थी जिससे एयरपोर्ट को काफी नुकसान हुआ था। इससे पहले अप्रैल में भी इजरायल ने यहां पर हमला किया था। आपको बता दें कि सीरिया में ईरान और चरमपंथी संगठन हिज़बुल्लाह राष्ट्रपति बशर अल-असद के समर्थन में लड़ रहे हैं। ये दोनों ही इजराइल के खिलाफ हैं। इसलिए सीमा पर टकराव होता रहता है
मार्च 2018
इजरायल ने पहली बार माना कि उसने वर्ष 2007 में बमबारी कर सीरिया के संदिग्ध परमाणु रिएक्टर को तबाह कर दिया था। साथ ही ईरान को भी चेतावनी दी कि इजरायल किसी को परमाणु हथियार बनाने की इजाजत नहीं देगा। गौरतलब है कि इजरायली सेना ने पूर्वी सीरिया के दीर अल-जोर शहर के पास अल-कुबर संयंत्र पर छह सितंबर, 2007 को किए गए हवाई हमले के गोपनीय फुटेज, फोटो और खुफिया दस्तावेज जारी किए थे। सेना ने कहा कि इस परमाणु रिएक्टर का निर्माण उत्तर कोरिया की मदद से किया जा रहा था और कुछ महीनों बाद ही वह काम शुरू करने वाला था।