विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन की जीत के बाद उमर अब्दुल्ला आज केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे। उमर अब्दुल्ला अनुच्छेद 370 निरस्त होने के बाद होने वाले हुए पहले विधानसभा चुनाव में विजयी हुए हैं।
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा आज शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में उमर अब्दुल्लाह को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएंगे। उनके साथ कुछ अन्य मंत्रियों को भी को भी आज शपथ दिलाई जाएगी।
इस शपथ ग्रहण समारोह में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी भी शामिल होंगे।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्लाह समस्याओं को हल करने के लिए भारत सरकार के साथ मिलकर काम करने के लिए तत्पर हैं। इसके लिए वह सबसे अच्छा तरीका, जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने को बताते हैं।
बताते चलें कि कांग्रेस ने मंगलवार को गुलाम अहमद मीर को जम्मू-कश्मीर में अपने विधायक दल का नेता नियुक्त किया। नई सरकार में कांग्रेस विधायकों के लिए मंत्री पद पर निर्णय पार्टी आलाकमान द्वारा लिया जाएगा।
केंद्र शासित प्रदेश का मुख्यमंत्री होने के नाते चुनौतियों का ज़िक्र करते हुए अपने शपथ ग्रहण समारोह से पहले उमर अब्दुल्ला ने भारत सरकार के साथ मिलकर काम करने के लिए उत्सुकता जताई है।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्लाह ने जम्मू और कश्मीर को राज्य का दर्जा दिए जाने की बात भी दोहराई है। साथ ही उन्होंने इस बात का भी ज़िक्र किया कि छह साल का कार्यकाल पूरा करने वाले आखिरी मुख्यमंत्री के रूप में उनके पास कुछ विशिष्टताएं भी हैं।
शपथ ग्रहण समारोह से पूर्व एएनआई को दिए इंटरव्यू में उम्र का कहना है कि मुझे उम्मीद है कि केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा अस्थायी है। साथ ही वह लोगों की समस्याओं को हल करने के लिए भारत सरकार के साथ मिलकर काम करने के लिए तत्पर हैं। और इसके लिए वह सबसे अच्छा तरीका, जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने को बताते हैं।
याद दिला दें कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव 18 सितंबर से पहली अक्तूबर तक तीन चरणों में हुए थे। इसके नतीजे 8 अक्तूबर को घोषित किए गए, जिसमे नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 90 में से 42 और कांग्रेस ने छह सीटें जीतीं। इस तरह से चुनाव पूर्व सहयोगी दलों के पास 95 सदस्यीय विधानसभा का बहुमत है।