भुवनेश्वर : ओड़िशा में सत्ताधारी दल बीजू जनता दल (बीजद) के उम्मीदवारों ने 18 जिला परिषदों में अध्यक्ष पद जीत लिए। वहीं पंचायत चुनावों में जोरदार प्रदर्शन करने वाली भाजपा को केवल सात जिलों से ही संतोष करना पड़ा। odisa
बीजद ने गंजम, कटक, पुरी, केंद्रपाड़ा, खोरधा, बालासोर, भद्रक, जाजपुर, जगतसिंहपुर, कोरापुट, कंधमाल, बोढ़, नबरंगपुर, केवनझार, सुंदरगढ़, ढेंकानाल, नयागढ़ और अंगुल जिलों में अपने अध्यक्ष बनाए हैं।
297 जिला परिषद क्षेत्रों में जीतने वाली भाजपा के पास आठ जिलों में बहुमत था लेकिन संबलपुर जिले में उसे बगावत का सामना करना पड़ा।
यहां पर उसके बागी उम्मीदवार ने जीत दर्ज कर अध्यक्ष पद की कुर्सी ले ली। भाजपा नेता और पूर्व मंत्री जयनारायण मिश्रा ने अपने समर्थक राधेश्याम बरिक को संबलपुर जिला परिषद का अध्यक्ष बनवा दिया।
भाजपा ने बोलंगीर, बारगढ़, मयूरभंज, कालाहांडी, देवगढ़, सुबर्णपुर और गजपति जिलों में अध्यक्ष पद की कुर्सी कब्जाई। कांग्रेस के हिस्से में रायगड और झारसुगुडा की कुर्सी आई।
पंचायत चुनावों की 849 सीटों में से बीजद ने 467, भाजपा ने 293 और कांग्रेस ने 60 पर जीत दर्ज की थी। अन्यों के खाते में 16 सीट आई थी। भाजपा ने इन चुनावों में बड़ी कामयाबी हासिल की थी।
पांच साल पहले 2012 के पंचायत चुनाव में बीजेपी को एक भी सीट हासिल नहीं हुई थी। 30 जिला परिषदों में से बीजद को 28 पर जीत मिली थी और बाकी बची 2 सीटें कांग्रेस की झोली में गई थीं।
2012 में बीजेपी ने पहली बार बीजेद से अलग होकर चुनाव लड़ा था, वहीं 5 साल बाद ही बीजेपी की स्थिति में काफी सुधार हुआ है।
बीजेपी के लिए यह वाकई में बड़ी जीत है इस बात में कोई दो राय नहीं। वहीं दूसरी तरफ बीजेपी की जीत राज्य के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के लिए भी बड़ी चिंता का विषय है।
2019 में ओडिशा में विधानसभा चुनाव होने हैं और जिला परिषद चुनाव के यह नतीजे सत्ताधारी पार्टी बीजद के लिए कहीं से भी अच्छी खबर नहीं लाती।
बीजेपी का बेहतर प्रदर्शन, नवीन पटनायक के खिलाफ बनी 19 साल की ऐंटीइनकम्बेंसी को और मजबूत करेगा। वहीं कांग्रेस की स्थिति खराब ही होती जा रही है क्योंकि इन चुनाव में उसका सूपड़ा साफ हो चुका है।