नई दिल्ली, प्रधानमंत्री मोदी ने मुस्लिम समुदाय से अपील की है कि वो तीन तलाक के मसले पर राजनीतिक रंग ना चढ़ने दें. मोदी ने मंगलवार को मुस्लिम संगठन जमात-ए-उलेमा-ए-हिंद के 25 नेताओं से मुलाकात की.
मुलाकात के बाद पीएमओ की ओर से जारी बयान में कहा गया, ‘तीन तलाक के मुद्दे पर प्रधानमंत्री ने दोहराया कि मुस्लिम समुदाय को इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं होने देना चाहिए और उन्होंने मौजूद सभी नेताओं से इस संबंध में सुधार शुरू करने की जिम्मेदारी लेने के लिए कहा.’ पीएमओ की विज्ञप्ति के मुताबिक मुस्लिम नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने इस मुद्दे पर पीएम के रुख की तारीफ की.
बैठक में मुस्लिम नेताओं ने कश्मीर के ताजा हालात पर चिंता जाहिर की. मुस्लिम नेताओं का मानना था कि सिर्फ प्रधानमंत्री ही इस मसले का हल निकाल सकते हैं. प्रतिनिधिमंडल का कहना था कि मुस्लिम समुदाय नया भारत बनाने में बराबर की साझेदारी निभाना चाहता है. टीम के सदस्यों ने माना कि आतंकवाद एक बड़ी चुनौती है और इससे निपटने का संकल्प दोहराया.
बैठक के दौरान मोदी ने कहा कि लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत सद्भाव और मेलजोल है और लोगों के बीच भेदभाव करने का हक सरकार के पास नहीं है. पीएम ने विविधता में एकता को भारत की खासियत बताया और कहा कि देश की नई पीढ़ी को दुनिया में बढ़ते चरमपंथ का शिकार बनने की मंजूरी नहीं देनी चाहिए. प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों का मानना था कि देश की सुरक्षा से किसी भी कीमत पर समझौता ना करना मुस्लिम समुदाय की जिम्मेदारी है. पीएमओ के बयान के मुताबिक, ‘प्रतिनिधिमंडल में मौजूद नेताओं ने कहा कि मुस्लिम समुदाय भारत के खिलाफ किसी भी साजिश को कभी भी सफल नहीं होने देगा.’
प्रतिनिधिमंडल का स्वागत राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने किया. उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया भारत की तरफ देख रही है और ये समाज के हर तबके की जिम्मेदारी है कि वो देश को आगे ले जाए. जमात-ए-उलेमा-ए-हिंद के दल में संगठन के अध्यक्ष मौलाना कारी सैयद मोहम्मद उस्मान मनसूरपुरी, संस्था के महासचिव मौलाना महमूद ए. मदनी, मुंबई के अंजुमन-ए-इस्लाम के अध्यक्ष जहीर आई. काजी, शिक्षाविद् अख्तरुल वासे तथा मौलाना बदरुद्दीन अजमल भी शामिल थे.