मावल्यान्नॉंग गांव ( Mawlynnong Village )
वैसे तो भारत में ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के तहत लोगों को सफाई के प्रति जागरूक किया जा रहा हैं, लेकिन आज भी सफाई के मामले में हमारे अधिकांश गांवो, कस्बों और शहरों की हालत बहुत खराब है। आपको बता दें कि एशिया का सबसे साफ-सुथरा गांव भी हमारे देश भारत में ही है। यह गांव है मेघालय का ‘मावल्यान्नॉंग’ गांव जिसे कि ‘भगवान का अपना बगीचा’ (God’s Own Garden) भी कहा जाता है।
यहां स्वच्छ भारत अभियान से जुड़े कई लोगों को सम्मानित भी किया जा चुका है। आपको बता दें कि सफाई के साथ-साथ यह गांव शिक्षा में भी अव्वल है। यहां की साक्षरता दर 100 फीसदी है। इतना ही नहीं, इस गांव में ज्यादातर लोग सिर्फ़ अंग्रेजी में ही बात करते हैं।
खासी हिल्स डिस्ट्रिक्ट का यह गांव मेघालय के शिलॉंन्ग और भारत-बांग्लादेश बॉर्डर से 90 किलोमीटर दूर है। साल 2014 की गणना के अनुसार यहां 95 परिवार रहते हैं। यहां सुपारी की खेती आजीविका का मुख्य साधन है। यहां लोग घर से निकलने वाले कूड़े-कचरे को बांस से बने डस्टबिन में जमा करते हैं और उसे एक जगह इकट्ठा कर खेती के लिए खाद की तरह इस्तेमाल करते हैं।
भारत का सबसे साफ गांव
यह गांव 2003 में एशिया का सबसे साफ और 2005 में भारत का सबसे साफ गांव बना। इस गांव की सबसे बड़ी खासियत यह है की यहां की सारी सफाई ग्रामवासी स्वयं करते है, सफाई व्यवस्था के लिए वो किसी भी तरह प्रशासन पर आश्रित नहीं है। इस पूरे गांव में जगह-जगह बांस के बने डस्टबिन लगे हैं। किसी भी ग्रामवासी को फिर चाहें वो महिला हो, पुरुष हो या बच्चे हो जहां गन्दगी नज़र आती है तो वे सफाई पर लग जाते है। Mawlynnong Village
सफाई के प्रति जागरूकता
सफाई के प्रति जागरूकता का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि यदि सड़क पर चलते हुए किसी ग्रामवासी को कोई कचरा नज़र आता है तो वो रूककर पहले उसे उठाकर डस्टबिन में डालेगा फिर आगे जाएगा।
टूरिस्ट के लिए कई अमेंजिग स्पॉट
इस गांव के आस-पास टूरिस्ट्स के लिए कई अमेंजिग स्पॉट हैं, जैसे वाटरफॉल, लिविंग रूट ब्रिज (पेड़ों की जड़ों से बने ब्रिज) और बैलेंसिंग रॉक्स भी हैं। इसके अलावा जो एक और बहुत फेमस टूरिस्ट अट्रैक्शन है वो है 80 फीट ऊंची मचान पर बैठ कर शिलांग की प्राकृतिक खूबसूरती को निहारना। Mawlynnong Village
पेड़ों की जड़ों से बने प्राकृतिक पुल
पेड़ों की जड़ों से बने प्राकृतिक पुल जो समय के साथ-साथ मज़बूत होते जाते हैं। इस तरह के ब्रिज पूरे विश्व में केवल मेघालय में ही मिलते हैं। कई जगह आने वाले प्रयटकों की जलपान सुविधा के लिए ठेठ ग्रामीण परिवेश की टी स्टाल बनी हुई है जहां आप चाय का आनंद ले सकते हैं इसके अलावा एक रेस्टोरेंट भी है जहां आप भोजन कर सकते है।
कैसे पहुंचे मावल्यान्नॉंग गांव
मावल्यान्नॉंग गांव शिलांग से 90 किलोमीटर और चेरापूंजी से 92 किलोमीटर दूर स्थित है। दोनों ही जगहों से सड़क द्वारा आप यहां पहुंच सकते हैं। आप चाहें तो शिलॉन्ग तक देश के किसी भी हिस्से से हवाईजहाज़ के द्वारा भी पहुंच सकते हैं। Mawlynnong Village
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