दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले दस शहरों में से सात, एशिया में हैं। इनमे दिल्ली के अलावा टोक्यो, शंघाई और ढाका सबसे ऊपर हैं।
एशिया के महानगर एक तरफ़ तो आर्थिक विकास को गति दे रहे हैं, मगर दूसरी तरफ बढ़ते तापमान और आबादी के साथ अनियोजित शहरी विकास ने इसे अनिश्चित भविष्य का सामना करने के लिए मजबूर कर दिया है।
इन हालात में अब अर्थव्यवस्थाओं को पीछे जाने का ख़तरा है। संयुक्त राष्ट्र की क्षेत्रीय विकास शाखा (ESCAP) की एक नई रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि तत्काल और समावेशी कार्रवाई नहीं की गई तो बढ़ती असमानता से सार्वजनिक सेवाओं पर अत्यधिक बोझ पड़ेगा। ऐसे सामाजिक व पर्यावरणीय तनाव और अधिक बढ़ सकते हैं।
इसके हल के रूप में ESCAP की कार्यकारी सचिव आर्मिडा सालसियाह ऐलिसजाहबना, एक ऐसे नए नगरी ढाँचे की मांग कर रही हैं जो समानता और सहनशीलता को प्राथमिकता दे।
रिपोर्ट की प्रस्तावना में लिखा है- “सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा का मार्ग, नगरों और सम्पूर्ण मानव बस्तियों से होकर गुजरता है।”
जलवायु संकट एशिया के कई नगरों को उनकी सहन सीमा तक धकेल रहा है। वर्ष 2024 में, ढाका और दिल्ली से लेकर नोमपेन्ह और मनीला तक, दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में रिकॉर्ड तापमान दर्ज किया गया। जिससे बुनियादी ढाँचे और स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों पर दबाव पड़ा।
वर्ष 2000 और 2019 के बीच, वैश्विक गर्मी से सम्बन्धित मौतों में से लगभग आधी मौतें, एशिया और प्रशान्त क्षेत्र में हुईं। बढ़ते तापमान और हरे भरे स्थानों के सिकुड़ने के साथ, जोखिम बढ़ रहे हैं।
ऐसे में इस क्षेत्र में एक गहरा जनसांख्यिकीय बदलाव देखने को मिल रहा है। एशिया और प्रशान्त क्षेत्र में 2050 तक वृद्ध व्यक्तियों की संख्या एक अरब 30 करोड़ तक पहुँचने का अनुमान है, जो 2024 के आँकड़ों से लगभग दोगुनी होगी।
आवासी स्थलों की क़ीमतों में उछाल और वेतन में स्थिरता के कारण, लाखों लोग, झुग्गी-झोपड़ियों और अनियमित मोहल्लों में जाने को मजबूर हैं। इन क्षेत्रों को अक्सर सबसे पहले जलवायु झटकों का सामना करना पड़ता है, जबकि इन क्षेत्रों को, स्वच्छता या आपातकालीन राहत जैसी सेवाएँ सबसे अन्त में पहुँचती हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है- “जब आवास स्थल, बसने या रहने की जगह के बजाय एक वस्तु बन जाता है, तो यह स्थिति, नगरीय अर्थव्यवस्थाओं और विस्तार से राष्ट्रीय, और यहाँ तक कि वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के लिए व्यवस्थागत जोखिम उत्पन्न करती है।”
इन तमाम चुनौतियों के बावजूद, ESCAP इस बात पर ज़ोर देता है कि नगर, एशिया के सतत भविष्य के लिए केन्द्रीय महत्व हासिल किए हुए हैं। साथ ही यह रिपोर्ट, देशों से समाधान साझा करने के लिए क्षेत्रीय सहयोग और नगर नैटवर्क को मज़बूत करने का भी आग्रह करती है।
जोखिमों को अवसरों में बदलने के लिए रिपोर्ट के ज़रिए एकीकृत शहरी नियोजन, मजबूत स्थानीय डेटा प्रणाली और विविध वित्तपोषण यानि धन उपलब्धता की मांग की गई है, ताकि शहर सहनक्षमता हासिल कर सकें, समानता व सतत विकास को बढ़ावा दिया जा सके।