कटिहार। बिहार पुलिस के अधिकारी और जवान तहे दिल से नेपाल पुलिस को धन्यवाद दे रहे हैं। दें भी क्यों न। नेपाल पुलिस ने चंद घंटे के अलर्ट पर पिछले पांच दिनों से अपहृत पांच साल की स्पर्श को न केवल रिहा करवाया बल्कि इस अपहरण कांड में शामिल चार लोगों को गिरफ्तार भी किया। स्पर्श अब अपने माता-पिता के साथ वापस घर लौट चुकी है लेकिन इस अपहरण के बाद नितीश सरकार और बिहार पुलिस की नींद हराम हो गयी थी।
स्पर्श को सुनसरी ज़िले के एक घर से छुड़ाया गया है। इस अपहरण में शामिल तीन नेपाली लोगों के अलावा दो और लोगों को भी इस घर से गिरफ्तार किया गया है। पुलिस का कहना है की अपहरणकर्ताओं ने स्पर्श को ठीक से रखा था। दरअसल कटिहार पुलिस को डर था की कहीं इस अपहरण के पीछे कोई बड़ा गैंग तो नहीं हैं और स्पर्श को कोई नुकसान न पहुंचे इसलिए वह थोड़ी फूंक फूंक कर कदम उठा रही थी।
कटिहार ज़िले के कुर्सेला के स्कूल से स्पर्श का अपहरण किया गया था। स्कूल के ड्राइवर ने स्पर्श को ले जाने वाले अपहरणकर्ताओं की पहचान स्कूल के पूर्व ड्राइवर मिथुन पासवान के तौर पर की और इसकी जानकारी पुलिस को दी। जिस मोटर साइकिल और टाटा सूमो से स्पर्श को एक जगह से दूसरे स्थान पर भेजा गया। इस मामले में करीब 48 घंटे के बाद जैसे ही फिरौती के लिए पहला कॉल आया जिसने पुलिस को चौंका दिया।
फोन करने वाला कोई और नहीं संतोष यादव हैं जो पूर्व सांसद नरेश यादव के बेटे हैं। पुलिस ने नरेश यादव के साथ उसके एक सहयोगी को भी गिरफ्तार किया। दोनों से पूछताछ के आधार पर पुलिस को विश्वास हो गया की स्पर्श को अपहरणकर्ताओं ने नेपाल में रखा हुआ है। इस बीच एक महिला को पुलिस ने हिरासत में लिया और उसने नेपाल के विराटनगर के पास स्पर्श के रखे जाने की पुष्टि की।
इसके बाद राज्य के पुलिस महानिदेशक ने नेपाल पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत की। नेपाल और बिहार पुलिस हर बार मामले में एक दूसरे के साथ अनौपचारिक रूप से संपर्क में रहती है। वह चाहे नेपाल के बीरगंज से सुरेश केडिया का अपहरण हो जिन्हें बिहार पुलिस ने रिहा करवाया या मुकेश पाठक का मामला जो पुलिस को चकमा देकर नेपाल में शरण लिए हुए था और नेपाल पुलिस ने उसकी गिरफ्तार के लिए छापेमारी की थी। इसके पहले 2013 में इंडियन मुजाहिद्दीन का यासीन भटकाल जब नेपाल के पोखरा में छिपा था तब बिहार पुलिस और इंटेलीजेंस ब्यूरो की सूचना पर नेपाल पुलिस की स्पेशल टास्क फॉर्स ने उसे गिरफ्तार किया था और बाद में उससे भारत नेपाल सीमा पर बिहार पुलिस के हवाले किया गया था।