इसरो ने आज सुबह 5:59 बजे सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से पीएसएलवी-सी61 रॉकेट लॉन्च किया। रॉकेट तीसरा चरण पार करने में असफल रहा। यह जानकारी इसरो के चीफ वी नारायणन ने दी है।
तकनीकी खराबी के कारण मिशन असफल होने के बावजूद आज का दिन देशवासियों के लिए सदा ही यादगार रहेगा। आज से ठीक 51 साल पहले दुनिया को भारत के परमाणु संपन्न होने का आभास हुआ था।
18 मई 1974 को ऑपरेशन ‘स्माइलिंग बुद्धा’ ने भारत को परमाणु ताकत वाले देशों की कतार में ला खड़ा किया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के बाहर भारत ऐसा करने वाला पहला देश था। भारत द्वारा पोखरण, राजस्थान में पहला परमाणु परीक्षण किए जाने को ‘स्माइलिंग बुद्धा’ नाम दिया गया।
इसके लिए 75 वैज्ञानिकों की टीम ने 7 साल तक गोपनीय रखते हुए काम किया और फिर यह सफल परीक्षण हो सका। वैज्ञानिक और इंजीनियरों की इस टीम ने 1967 से लेकर 1974 तक मेहनत की थी।
भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर के निदेशक डॉक्टर राजा रमन्ना ने इस परियोजना की कमान संभाली थी। एपीजे अब्दुल कलाम भी रमन्ना की टीम का हिस्सा थे। अब्दुल कलाम ने 1998 में पोखरण परमाणु परीक्षण की टीम का एक बार फिर से नेतृत्व किया था।
18 मई 1974 के दिन परमाणु परीक्षण की सभी तैयारियां पूरी हो चुकी थीं। परिक्षण के विस्फोट पर नजर रखने के लिए 5 किमी दूर मचान को लगाया गया। बड़े सैन्य अधिकारी और वैज्ञानिक इस मचान से परीक्षण का मुआयना कर रहे थे।
वैज्ञानिक वीरेंद्र सेठी को परीक्षण वाली जगह पर अंतिम जाँच के लिए भेजा जाना था मगर जीप ख़राब होने के कारण देरी हो रही थी। तब वीरेंद्र सेठी 2 किमी दूर कंट्रोल रूम तक पैदल चलकर पहुंचे थे। विस्फोट का समय सुबह 8 बजे तय किया गया था जिसे जीप खराब होने 5 मिनट बढ़ा दिया गया।
इस दिन को याद करते हुए कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने एक तस्वीर साझा कर इतिहास की उस उपलब्धि को नमन किया है।
इसरो की 101वें रॉकेट लॉन्च की बात करें तो PSLV-C61 नाम का रॉकेट EOS-09 नाम के एक सैटेलाइट को लेकर पृथ्वी की सूर्य समकालिक कक्षा यानी सन सिंक्रोनस पोलर ऑर्बिट (SSPO) में स्थापित किया जाना था।
यह ऑर्बिट सूर्य के समकालिक है। EOS-09 को इसी कक्षा में सेट होकर पृथ्वी का चक्कर लगाना था। इस तरह ये पृथ्वी की निगरानी का काम करता। धरती के मौसम और पर्यावरण के बारे में इस सेटेलाइट दवरा जानकारी प्राप्त की जाती। इसके साथ ही यह देश के बॉर्डर की निगरानी की ज़िम्मेदारी भी निभाता।
इसरो चीफ ने कंकारी दी है कि वह इस मिशन के असफल होने का विश्लेषण करेंगे। असफलता के कारण का पता लगाने के बाद पुनः इसे लॉन्च किया जाएगा