ईरान के अमेरिकी ड्रोन को गिराने के बाद दोनों देशों के बीच बढ़े तनाव के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री ने सऊदी अरब में शाह सलमान और युवराज (वलीअहद) मोहम्मद बिन सलमान से सोमवार को वार्ता की।
पिछले हफ्ते ईरान ने एक अमेरिकी ड्रोन को मार गिराया था जिसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर जवाबी सैन्य हमले का आदेश दिया था लेकिन इसे कुछ समय के अंदर ही वापस ले लिया था। अमेरिका ने इस बात से इनकार किया है कि उसके इस ड्रोन ने ईरान के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया था।
इस बीच ईरान के नौसेना कमांडर रियर एडमिरल हुसैन खानज़ादी ने अमेरिका को आगाह करते हुए कहा कि तेहरान उसके हवाई क्षेत्र का उल्लंघन करने वाले अन्य अमेरिकी जासूसी ड्रोनों को मार गिराने में सक्षम है। खानज़ादी ने सोमवार को ईरान में रक्षा अधिकारियों के साथ एक बैठक के दौरान यह टिप्पणी की।
#BREAKING Iran says US sanctions mean 'permanent closure' of path to diplomacy pic.twitter.com/vyPbtSZVcn
— AFP News Agency (@AFP) June 25, 2019
बहरहाल, अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने जेद्दा में शाह सलमान और उनके बेटे तथा सऊदी अरब के उत्तराधिकारी (वलीअहद) शहज़ादे मोहम्मद बिन सलमान से अलग अलग बातचीत की। पोम्पिओ ने ट्विटर पर लिखा कि शाह सलमान के साथ सार्थक मुलाकात हुई और क्षेत्र में ‘बढ़े हुए तनाव पर उनसे चर्चा की। उन्होंने फारस की खाड़ी के पास होरमुज़ जलसंधि में समुद्री सुरक्षा को बढ़ाने की जरूरत बताया। इस जल क्षेत्र से दुनिया के तेल कारोबार का लगभग पांचवां हिस्सा गुजरता है।
पोम्पिओ सऊदी अरब से अमेरिका के दूसरे करीबी सहयोगी संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) जाएंगे। क्षेत्र की यात्रा का उनका मकसद सुन्नी खाड़ी अरब सहयोगियों को यह आश्वस्त करना है कि व्हाइट हाउस शिया ईरान पर दबाव बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। ईरान के साथ हुए विश्व शक्तियों के परमाणु करार से पिछले साल अमेरिका के बाहर होने और ईरान पर फिर से आर्थिक प्रतिबंध लगाने के बाद से दोनों मुल्कों में तनाव बढ़ा हुआ है।
ईरान के नेतृत्व को बातचीत के लिए तैयार करने के मकसद से सोमवार को नए प्रतिबंध लगाए जाने की तैयारी है। ईरान ने अमेरिकी प्रतिबंधों को ‘आर्थिक आतंकवाद’ बताकर निंदा की है, जो उसे अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में तेल बेचने से रोकते हैं। सऊदी अरब रवाना होने से पहले पोम्पिओ ने प्रतिबंधों के बारे में कहा था कि इससे ईरान को संसाधनों की कमी होगी जिससे वह आतंकवाद को बढ़ावा नहीं दे पाएगा, अपनी परमाणु हथियार प्रणाली और मिसाइल कार्यक्रम नहीं बना पाएगा।