कतर में आठ पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारियों को मौत की सजा सुनाए जाने के फैसले के खिलाफ भारत सरकार ने अदालत में अपील दायर की है।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार शाम को पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए बताया कि कतर की अदालत ने 26 अक्टूबर को भारतीय नागरिकों को मौत की सजा देने का फैसला सुनाया था।
अरिंदम बागची ने आगे कहा कि पिछले हफ्ते, विदेश मंत्री जेएस शंकर ने मौत की सजा पाए लोगों के परिवारों से मुलाकात की और आश्वासन दिया कि सरकार जहां तक संभव हो बंदियों को हर मुमकिन सहायता प्रदान करना जारी रखेगी।
आगे उन्होंने बताया कि इस संबंध में कतर की अदालत द्वारा दिया गया फैसला गोपनीय है और इस फैसले की प्रति केवल कानूनी विशेषज्ञों की टीम के साथ साझा की गई है।
कतर के कोर्ट में भारत ने की अपील, नौसेना के 8 पूर्व अधिकारियों को सुनाई थी मौत की सजा: विदेश मंत्रालय बोला- मामला संवेदनशील, अटकलें ना लगाएँ#India #Qatar #Navy https://t.co/5d5G3Gb8Pj
— ऑपइंडिया (@OpIndia_in) November 10, 2023
गौरतलब है कि वर्ष 2022 अगस्त में दोहा में गिरफ्तार आठ पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों को कतर की एक अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। हालाँकि, उन पर लगे आरोपों का विवरण फिलहाल जारी नहीं किया गया है।
ये फैसला आने पर भारत के विदेश मंत्रालय की पहली प्रतिक्रिया ये थी कि मौत की सजा के फैसले से हम गहरे सदमे में हैं और कोर्ट के विस्तृत फैसले का इंतजार कर रहे हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने प्रेस कांफ्रेंस में ये जानकारी भी दी कि भारत सरकार कतर सरकार से लगातार संपर्क में है।
ये सभी पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारी दोहा स्थित अल-ज़हीरा अल-अलामी कंसल्टेंसी एंड सर्विसेज के लिए काम कर रहे थे। कंपनी कतर नौसेना को प्रशिक्षण और उपकरण प्रदान करती है। कंपनी का स्वामित्व कथित तौर पर एक ओमानी नागरिक के पास है, जो रॉयल ओमानी वायु सेना का एक सेवानिवृत्त स्क्वाड्रन लीडर है।
इन सभी अधिकारियों को पिछले साल अगस्त में हिरासत में लिया गया था और सितंबर से जेल में हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्हें एकांत कारावास में रखा गया है।