नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल के एक अध्ययन से पता चलता है कि पिछले तक़रीबन 12 हज़ार वर्षों के दौरान पक्षियों की करीब 1430 प्रजातियां विलुप्त हो गयी हैं, जबकि पिछले अध्ययनों के मुताबिक़ यह संख्या 640 है।
अध्ययन से यह भी पता चलता है कि भूमि पर या आबादी के करीबी क्षेत्रों में जब कोई पक्षी विलुप्त होता है, तब उसकी जानकारी तो मिल जाती है मगर सुदूर द्वीपों पर विलुप्त होने वाली प्रजातियों का पता ही नहीं चल पाता। इस विलुप्तीकरण को “डार्क एक्सटिंक्शन” कहते हैं। उदहारण के तौर पर डोडो पक्षी के विलुप्त होने की खबर मौजूद है, मगर अनेक प्रजातियों के विलुप्तीकरण की खबर वैज्ञानिक जगत को बहुत बाद में मिलती है या मिल ही नहीं पाती है।
वैज्ञानिकों ने एक नए विस्तृत अध्ययन के बाद ये जानकारी भी दी है कि अब तक ज्ञात जानकारी की तुलना में पक्षियों का विलुप्तीकरण दोगुनी तेजी से हो रहा है। इस अध्ययन के मुताबिक़ पक्षियों की 12 प्रतिशत प्रजातियां पिछले कुछ दशकों में विलुप्त हो चुकी हैं। इनमे से अधिकतर के विलुप्तीकरण का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। यही कारण है कि लगभग सभी अध्ययनों में पक्षियों की विलुप्त प्रजातियों की संख्या वास्तविक से कम रहती है, जिसके नतीजे में मानव-जनित खतरों का पक्षियों पर पड़ने वाले प्रभावों का सही आकलन नहीं हो पाता है।
नेचर कम्युनिकेशंस नामक जर्नल में रॉब कुक की अगुवाई में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार पिछले लगभग 12,000 वर्षों के दौरान पक्षियों की 1430 प्रजातियां विलुप्त हो गयी हैं, जबकि पहले के अध्ययनों में यह संख्या 640 है। #Birds #Environment https://t.co/Y0ztmzfpSa
— Navjivan (@navjivanindia) December 31, 2023
यूनाइटेड किंगडम सेंटर फॉर इकोलॉजी एंड हाइड्रोलॉजी में एकोलोजिस्ट डॉ. रॉब कुक की टीम ने अपना पूरा अध्ययन न्यूज़ीलैण्ड के एक छोटे द्वीप पर केन्द्रित किया है। न्यूज़ीलैण्ड में लम्बे समय का भूमि और छोटे द्वीपों पर भी पक्षियों के बारे में विस्तृत रिकॉर्ड उपलब्ध है। अध्ययन के दौरान इन द्वीपों पर पक्षियों के विलुप्तीकरण की जानकारी और वास्तविक विलुप्त हो चुकी प्रजातियों की सख्या में अंतर की पड़ताल की गई।
इस अंतर के आधार पर वैश्विक स्तर पर पक्षियों के विलुप्तीकरण के संदर्भ में वास्तविक संख्या और वैज्ञानिकों को ज्ञात संख्या का आकलन किया गया। नतीजे बताते हैं कि प्रजातियों के विलुप्तीकरण की संख्या अब तक ज्ञात संख्या से दुगुनी से भी अधिक है।
पक्षियों के विलुप्तीकरण का कारण जंगलों को मानव उपयोग के आधार पर बड़े पैमाने पर काटना, तापमान वृद्धि, अत्यधिक शिकार, जंगलों में बढ़ती आग की तीव्रता और दायरा और बाहर की प्रजातियों की संख्या में वृद्धि है। वैज्ञानिक मानते है कि अगले 10 वर्षों के भीतर पक्षियों की 669 से 738 और प्रजातियां विलुप्त हो जाएंगी।