नई दिल्ली : लोक सभा में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से जुड़े विधेयकों के पारित हो जाने के बाद केंद्र सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती अलग-अलग वस्तुओं और सेवाओं के लिए टैक्स की दर तय करना है। Gst
जीएसटी काउंसिल की बैठक अप्रैल में होगी जिसमें विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं पर टैक्स की दर तय होगी।
जीएसटी के तहत करीब 4000-5000 वस्तुएं और सेवाएं आती हैं।
केंद्र सरकार के अनुसार सर्विस टैक्स 18 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा।
वित्त मंत्री जेटली ने कहा है कि जीएसटी से सबसे ज्यादा लाभ गरीबों को मिलेगा।
जीएसटी काउंसिल पहले ही चार स्तर वाले टैक्स स्लैब बनाने को मंजूरी दे चुका है। इसके तहत 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत टैक्स लगाए जाएंगे।
जीएसटी के तहत आने वाले करीब आधी वस्तुओं पर शून्य टैक्स का प्रस्ताव है। ये सभी वस्तुएं उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के तहत आती हैं जिनके दाम के आधार पर महंगाई मापी जाती है।
इनमें ज्यादातर खाने-पीने की चीजें आती हैं। खाद्यान्न पर भी शून्य टैक्स होगा। जीएसटी काउंसिल फैसला लेगी कि किस वस्तु या सेवा पर किस स्लैब के तहत जीएसटी टैक्स लिया जाएगा।
लग्जरी कार, तंबाखू, पान मसाला पर 28 प्रतिशत जीएसटी के अलावा भी सेस (उपकर) लगाया जाएगा। ये सेस अगले पांच साल तक के लिए होगा और इससे होने वाली आमदनी राज्यों को जीएसटी लागू होने से हुए राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए इस्तेमाल की जाएगी।
जीएसटी काउंसिल ने लग्जरी कार पर अधिकतम 15 प्रतिशत सेस और पान मसाला पर 135 प्रतिशत सेस की अनुशंसा की है। तंबाखू पर हर 1000 पाउच पर 4170 रुपये या 290 प्रतिशत या दोनों सेस लगेगा। कोयले पर 400 रुपये प्रति टन की दर से सेस लगेगा।
जीएसटी से भारत में लगने वाले सभी अप्रत्यक्ष कर खत्म हो जाएंगे। अभी शराब, पेट्रोल, रियल एस्टेट को जीएसटी से बाहर रखा गया। इसके अलावा रोड टैक्स भी अभी खत्म नहीं किए जाएंगे लेकिन सरकार भविष्य में इन चीजों को भी चरणबद्ध तरीके से जीएसटी के तहत लाएगी।
माना जा रहा है कि दुनिया की सबसे तेजी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्था में एक टैक्स लागू होने से विकास की गति में तेजी आएगी जिसका लाभ भारत के 100 करोड़ उपभोग्ताओं को मिलेगा।