इतिहास में नवंबर 2022 से अक्टूबर 2023 तक की अवधि को पृथ्वी पर सबसे गर्म समय के रूप में दर्ज किया गया है और इसका कारण है बढ़ती हुई ग्लोबल वार्मिंग। ग्लोबल वार्मिंग का बढ़ता प्रसार पूर्व-औद्योगिक काल की तुलना में 1.3 डिग्री सेल्सियस के स्तर को पार कर गया है।
क्लाइमेट सेंट्रल द्वारा जारी अंतर्राष्ट्रीय डाटा के नए विश्लेषण की रिपोर्ट से पता चलता है कि पिछले 12 महीने की इस अवधि में 170 देशों में औसत तापमान 30 साल के पैमानों से ज्यादा रहा।
इसी अवधि के दौरान की जाने वाली एट्रीब्यूशन स्टडी में उन देशों और शहरों की पहचान भी की गई है, जहां जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान पर सबसे ज्यादा असर पड़ा।
Climate Change: बीते 12 महीने रहे इतिहास के सबसे गर्म मौसम, ग्लोबल वार्मिंग का तेजी से फैल रहा है दायरा#ClimateChange https://t.co/Oj0SBKKEuG
— Dainik Jagran (@JagranNews) November 10, 2023
रिपोर्ट से खुलासा होता है कि इस दौरान करीब 7.8 बिलियन लोग औसत से ज्यादा गर्म माहौल में रहने को मजबूर हुए। ये संख्या दुनिया की आबादी की तकरीबन 99 फीसदी होती है।
वेदर एट्रीब्यूशन विश्लेषण से पता चलता है कि नवंबर 2022 से अक्टूबर 2023 की 12 महीने की अवधि में 5.7 बिलियन लोग कम से कम 30 दिन के लिए औसत से अधिक तापमान सहने को मजबूर हुए, जिसमे जलवायु परिवर्तन के कारण करीब तीन गुना इज़ाफ़ा हुआ। दूसरे शब्दों में इसे क्लाइमेट सेंट्रल की क्लाइमेट शिफ्ट इंडेक्स के तृतीय स्तर पर जाना कह सकते हैं।
क्लाइमेट सेंट्रल में वाइस प्रेसिडेंट (साइंस) डीआर एंड्रयू पर्शिंग के मुताबिक़, 12 महीने का यह रिकॉर्ड ठीक वही परिणाम है, जिसकी कार्बन प्रदूषण के कारण उत्पन्न वैश्विक जलवायु से अपेक्षा की गई थी।