पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को जवाबदेही अदालत (एकाउंटेबिलिटी कोर्ट) ने सोमवार को करारा झटका देते हुए अल-अजिजिया मिल केस में सात साल कैद की सजा सुनाई है। जबकि, 2.5 मिलियन का जुर्माना लगाया है। हालांकि, शरीफ को एक अन्य केस फ्लैगशिप इन्वेस्टमेंट रेफरेंस में बरी कर दिया गया है।
इस्लामाबाद की जवाबदेही अदालत के न्यायाधीश मोहम्मद अर्षद मलिक ने 68 वर्षीय शरीफ के खिलाफ फ्लैगशिप इन्वेस्टमेंट और अल अजीजिया मामलों में पिछले हफ्ते सुनवाई पूरी कर लेने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
उच्चतम न्यायालय ने शरीफ के खिलाफ चल रहे भ्रष्टाचार के शेष दो मामलों के निपटारे के लिए सोमवार की अंतिम तारीख तय की थी। शरीफ फैसले से एक दिन पहले रविवार को लाहौर से इस्लामाबाद पहुंचे।
पिछले साल 28 जुलाई को पनामा पेपर्स केस में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बीते सितंबर महीने में शरीफ के खिलाफ तीन मुकदमे शुरू किए गए थे। 28 जुलाई के अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने शरीफ को प्रधानमंत्री पद के अयोग्य घोषित कर दिया था।
शरीफ परिवार के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले अल-अजीजिया स्टील मिल्स, फ्लैगशिप इन्वेस्टमेंट लिमिटेड और एवेनफील्ड प्रोपर्टीज से जुड़े हैं। जवाबदेही अदालत के जज मोहम्मद बशीर ने अल-अजीजिया मिल केस में कार्यवाही शुरू की, लेकिन एक अहम गवाह की गैर- मौजूदगी के कारण उन्हें मामले की सुनवाई मंगलवार तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।