श्रीनगर : नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष तथा जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने श्रीनगर-बडगाम संसदीय उपचुनाव में जीत दर्ज की है। Farooq abdulla
उन्होंने पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के नजीर अहमद खान को 10,557 मतों के अंतर से पराजित किया। निर्वाचन अधिकारियों ने कहा कि फारूक को 47,926 मत मिले थे, जबकि खान के पक्ष में 37,369 मत पड़े।
नोटा के पक्ष में 714 मत पड़े। उपचुनाव में कुल 89,865 लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था।
मतदान बीते नौ अप्रैल को हुआ था, जबकि मतगणना आज (शनिवार) सुबह आठ बजे शुरू हुई।
मतदान के दौरान केवल सात फीसदी मतदाताओं ने ही अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। मतदान के दौरान हुई हिंसा के बाद 38 मतदान केंद्रों पर 13 अप्रैल को पुनर्मतदान का आदेश दिया गया था, जिस दौरान मात्र दो फीसदी ही मतदान हुआ।
हिंसा में सात लोगों की मौत हुई थी। कुल नौ उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे, लेकिन मुख्य मुकाबला पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला तथा नजीर अहमद खान के बीच था। अलगाववादियों ने इस चुनाव के बहिष्कार का आह्वान किया था।
नेशनल कांफ्रेंस ने शनिवार को कहा कि चुनाव के दौरान हुई आठ लोगों की मौत की वजह से श्रीनगर लोकसभा उपचुनाव में पार्टी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला की जीत का जश्न नहीं मनाया जाएगा।
नेशनल कांफ्रेंस के प्रवक्ता जुनैद अजीम मट्ट ने कहा कि पार्टी अब्दुल्ला की जीत का जश्न नहीं मनाएगी, क्योंकि श्रीनगर-बडगाम संसदीय सीट के उपचुनाव के लिए नौ अप्रैल को हुए मतदान के दौरान सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच हुए संघर्ष में आठ नागरिकों की जान चली गई थी।
बता दें कि 9 अप्रैल को श्रीनगर उपचुनावों में काफी हिंसा हुई थी। 8 लोग पुलिस फायरिंग में मारे गए थे और अधिकारियों के अनुसार हिंसा में 100 से अधिक सुरक्षाकर्मी घायल हो गए थे।
पुलिस गोलीबारी में कई नागरिक भी घायल हो गए थे। जम्मू कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी शांतमनु ने बताया था कि इस संसदीय सीट पर महज 7 फीसदी मतदान हुआ था।
उन्होंने कहा था, ‘‘मैं फिलहाल पुनर्मतदान के बारे में कुछ नहीं कह सकता। यह आंकड़ा करीब 50 या 100 या उससे अधिक मतदान केंद्र हो सकता है।’’
जम्मू कश्मीर में चरारे शरीफ के पखेरपोरा और बड़गाम जिले के बीरवाह और छदूरा में दो दो लोगों की मौत हुई थी। बड़गाम जिले में ही मैगाम में एक व्यक्ति की हिंसा में जान चली गई थी।
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उनके पिता फारूक अब्दुल्ला ने महबूबा मुफ्ती की अगुआई वाली सरकार की सुचारू ढंग से चुनाव कराने में पूरी तरह विफल रहने को लेकर आलोचना की थी।
वहीं निर्वाचन आयोग और गृह मंत्रालय के बीच भी वाक्य युद्ध हुआ था और मंत्रालय ने कहा था कि चुनाव के लिए माहौल अनुकूल नहीं होने की उसकी सलाह को ‘नजरअंदाज’ किया गया। इस पर निर्वाचन आयोग ने पलटवार करते हुए कहा था कि वह कोई चुनाव कराने से पहले केंद्र सरकार से मशविरा करने के लिए बाध्य नहीं है।