किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच होने वाली बैठक के सकारात्मक नतीजे नहीं निकले। ऐसे में सुलह की उम्मीदें ख़त्म होती नज़र आ रही हैं। किसान संगठनों ने 21 फरवरी के दिल्ली मार्च की बात भी कह दी है।
हरियाणा-पंजाब शंभू बॉर्डर पर बीती रात होने वाली किसान संगठनों की प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये जानकारी दी गई। किसानों ने केंद्र सरकार का प्रस्ताव ख़ारिज कर दिया है। गौरतलब है कि 18 फ़रवरी को किसानों के साथ हुई बैठक में केंद्र सरकार ने पाँच फसलों पर एमएसपी देने का प्रस्ताव दिया था। इस प्रस्ताव के तहत किसानों को सरकारी एजेंसियों के साथ पाँच साल का करार करना था।
संयुक्त किसान मोर्चा (अराजनैतिक) के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का कहना है कि सरकार की तरफ से दिए गए प्रस्ताव में कुछ नज़र नहीं आ रहा। पंजाब किसान मज़दूर संघर्ष कमिटी के नेता सरवन सिंह पंढेर ने 21 फ़रवरी को 11 बजे दिल्ली की तरफ़ कूच करने की बात कही।
किसान संगठन 23 फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य मांग करते हुए एमएसपी को क़ानूनी अधिकार बनाने की मांग कर रहे हैं। स्वामीनाथन आयोग की सिफ़ारिशों को भी लागू किये जाने की उनकी मांग है। इसके अलावा लखीमपुर खीरी मामले में दोषियों को सज़ा की भी मांग किसान कर रहे हैं।
किसान संगठनों ने मोदी सरकार के ऑफर को ठुकराया, 21 फरवरी से दिल्ली मार्च, जानिए कहाँ फँसा पेच https://t.co/PElWgt6xm8
— BBC News Hindi (@BBCHindi) February 20, 2024
18 फरवरी की बैठक को सकारात्मक बताते हुए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल का कहना था कि पैनल द्वारा किसानों को एक समझौते का प्रस्ताव दिया है, जिसके तहत सरकारी एजेंसियां उनसे न्यूनतम समर्थन मूल्य पर पाँच साल तक दालें, मक्का और कपास ख़रीदेंगी।
पियूष गोयल का कहना था कि, सरकार के प्रस्ताव से पंजाब के भूमिगत जलस्तर में सुधार होगा और पहले से ही ख़राब हो रही ज़मीन को बंजर होने से रोका जा सकेगा।
इसके जवाब में किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का कहना है कि सरकार द्वारा दिया गया प्रस्ताव किसानों के पक्ष में नहीं है। इसलिए किसान इसे रद्द करते हैं। किसान संगठन सभी फसलों पर एमएसपी दे जाने की बात कर रहे हैं। उनका कहना है कि ऐसा करने से सरकार को डेढ़ लाख करोड़ खर्च करने पड़ेंगे।
डल्लेवाल ने आगे कहा कि सरकार बाहर से एक लाख 75 हजार करोड़ रुपये का पाम तेल मंगवाती है। वो सभी लोगों के बीमारी का कारण भी बन रहा है, फिर भी उसे मंगवाया जा रहा है। उनके मुताबिक़ अगर यही पैसा देश के किसानों को तेल, बीज फसलें उगाने के लिए और उनके ऊपर एमएसपी की घोषणा और ख़रीद की गारंटी में दे, तो उस पैसे से काम चल सकता है।