उर्दू साहित्य के मशहूर क्रांतिकारी शायर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ को अपने चाहने वालों से बिछड़े हुए 39 साल बीत चुके हैं।
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ ने जहां अपनी शायरी में लोगों के हक़ के लिए आवाज़ उठाई, वहीं उनकी ग़ज़लों और कविताओं ने भी दुनिया भर में प्रसिद्धि हासिल की।
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ ने अपनी कविता और गद्य लेखन में पीड़ित समाज के पक्ष में आवाज़ उठाई और इंसानों द्वारा इंसान पर जुल्म को स्वीकार करने से इनकार कर दिया।
फैज़ अहमद फैज़ की कविताओं और ग़ज़लों को दुनिया भर में खूब खूब सराहना मिली। इन्हे प्रसिद्ध गायकों ने अमर बना दिया है।
Remembering one of the most celebrated, popular, and influential Urdu poets, Faiz Ahmad Faiz, on his death anniversary#faizahmadfaiz #deathanniversary #rekhta #urdu #urdupoetry pic.twitter.com/M2JMwgfYPW
— Rekhta (@Rekhta) November 20, 2023
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की शायरी की भारत समेत पूरी दुनिया में काफी चर्चा रही है और उनकी प्रसिद्ध रचनाओं में नक्श फ़रयादी, दस्त सबा, ज़िंदान नामा, शाम शहर यारान, मिरे दिल मीरे मुसाफिर और नक्शा हाय वफ़ा शामिल हैं।
फ़ैज़ अहमद फैज़ साहब के बारे में एक बात दीगर किताबों और हवालों से आती है कि वो जितना बेहतरीन लिखते थे उतना ही ख़राब पढ़ते थे। बताया जाता है कि अपनी कीमती से कीमती नज़्म और ग़ज़ल को वो यूं पढ़ते थे जैसे अख़बार पढ़ रहे हों। #FaizAhmadFaiz #फैज़_अहमद_फैज़https://t.co/JrOMNuw5UG
— GaonConnection (@GaonConnection) November 20, 2023
उनकी शैक्षणिक और साहित्यिक सेवाओं के लिए उन्हें कई अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित किया गया। 1962 में लेनिन शांति पुरस्कार, निशान इम्तियाज और निगार पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ का निधन 20 नवंबर, 1984 को हो गया, लेकिन वह अपनी साहित्यिक सेवाओं के लिए हमेशा अपने प्रशंसकों के दिलों में जीवित रहेंगे।