सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक याचिका के ज़रिए मतदान के बाद वोटिंग का प्रतिशत तुरंत जानने की बात कही गई है। कोर्ट 17 मई को इस याचिका पर सुनवाई करेगा।
असोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के वकील प्रशांत भूषण ने इस मामले को उठाते हुए फौरी सुनवाई की बात कही है। अर्जी में चुनाव आयोग को वोटिंग के 48 घंटे के भीतर ही डेटा जारी करने की बात कही गई है। साथ ही यह भी कहा गया है कि डेटा देरी से आने से संदेह होता है।
असोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना की अगुआई वाली बेंच के सामने यह मुद्दा उठाते हुए मामले की अर्जेंट सुनवाई की बात कही है।
शीर्ष अदालत में दाखिल असोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की अर्जी में कहा गया है कि चुनाव आयोग को वोटिंग के बाद तुरंत ही वोट फीसदी का असल डेटा उजागर करने का निर्देश दिया जाए।
याचिका में पहले और दूसरे चरण के मतदान के हवाले से डेटा अंतर की बात कही गई है। अर्ज़ी में कहा गया है कि वोटिंग समाप्ति के समय से आयोग द्वारा जारी फाइनल डेटा में 5 फीसदी का अंतर है।
"वोट के तुरंत बाद पता चले डेटा, देरी से होता है संदेह"
◆ असोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने अर्जी दाखिल कर चुनाव का डेटा जल्दी जारी करने की अपील
◆ ADR के वकील प्रशांत भूषण ने मामला उठाया और कहा कि मामले की अर्जेंट सुनवाई होनी चाहिए#SupremeCourt |… pic.twitter.com/DvxGWHFELQ
— News24 (@news24tvchannel) May 14, 2024
गौरतलब है कि पहले चरण का चुनाव 19 अप्रैल को हुआ था जिसका फाइनल डेटा 11 दिनों बाद आया। वहीँ दूसरे चरण का चुनाव 26 अप्रैल को हुआ और इसका डेटा 4 दिन बाद जारी किया।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्ज़ी में कहा गया है कि इस तरह से देरी से जारी किये गए डेटा से चिंता हो रही है और लोगों में डेटा की सत्यता पर संदेह पैदा हो रहा है। ऐसे में इन संदेह और चिंताओं पर विराम लगाना जरूरी है।
याचिका में मतदाताओं के विश्वास को बनाए रखने की बात पर चुनाव आयोग को तुरंत मतदान प्रतिशत डेटा पब्लिक करने की बात कही गई है साथ ही फॉर्म 17 सी पार्ट एक (वोटर्स के नंबर) जो पोलिंग स्टेशन पर होता है उसकी स्कैन कॉपी चुनाव आयोग द्वारा अपलोड करने की भी दरख्वास्त की गई है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में ईवीएम द्वारा डाले गए वोट का वीवीपैट से 100 फीसदी मिलान करने को लेकर रिव्यू पिटिशन दाखिल की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में याचिकाकर्ता की अर्जी 26 अप्रैल को खारिज कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अब रिव्यू पिटिशन दाखिल की गई है।