नई दिल्ली: दिल्ली के आसमान पर छाई ज़हरीली धुंध के चलते पड़ोसी राज्यों के साथ अरविंद केजरीवाल सरकार की जो ‘जंग’ जारी है, उसकी जड़ में हरियाणा और पंजाब के किसानों द्वारा जलाई जाने वाली पराली है, लेकिन विज्ञानियों का कहना है कि यह मुसीबत आसपास से नहीं, बहुत दूर से आई है, यानी कुवैत, ईरान और सऊदी अरब से…
साल के इसी वक्फे में वायुमण्डल की ऊपरी तहों में मौजूद भारी हवा मध्य-पूर्व के बंजर मुल्कों से हिन्दुस्तान की तरफ बहती है, और उत्तर भारत की ओर आती हुई धूल-भरी ये हवाएं ठंडे पाकिस्तान को भी पार करती हैं, जहां से ये जलकणों को कोहरे के रूप में खुद में समेट लाती हैं, और फिर पंजाब में जलते हुए खेतों से वे धुआं जुटाती हैं, और इसके बाद धूल, पानी और धुएं की वजह से बेहद भारी हो चुकी ये हवाएं दिल्ली और आसपास के इलाकों के ऊपर छा जाती हैं, और एक ‘ज़हरीला आसमान’ बना डालती हैं…
रात को तापमान में आने वाली गिरावट इस जानलेवा धुंध में नमी को बढ़ा देता है, और समूचा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सुबह से ही घने धुएं से घिरा नज़र आता है… अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA द्वारा ली गई तस्वीर से हालात साफ-साफ नज़र आते हैं…
प्रदूषक तत्वों को समेटे आ रही ये हवाएं तब तक गायब नहीं होंगी, जब तक दिन के तापमान में खासी बढ़ोतरी दर्ज नहीं की जाएगी…
हालांकि दिल्ली और आसपास के इलाकों के वायुमण्डल में इस तरह का कोहरा छा जाना सर्दियों के दिनों में आम बात है, लेकिन पराली जलाए जाने की वजह से इसमें प्रदूषक तत्व – कार्सिनोजेनिक गैसें और पार्टिकुलेट मैटर (अतिसूक्ष्म कण) – बेहद बढ़ गए हैं, जो पिछले कुछ सालों से स्वास्थ्य से खिलवाड़ करते आ रहे हैं…
इस साल तो पार्टिकुलेट मैटर हर सीमा पार कर गए हैं, और चीन की राजधानी बीजिंग की तुलना में भी 10 गुणा ज़्यादा हो गए हैं, जिसे अब तक दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर कहा जाता रहा है… डॉक्टरों ने इस स्मॉग को स्वास्थ्य एमरजेंसी बताया है, और तुरंत ‘शहर छोड़ जाने’ की सलाह दी है…
गुरुवार को सेंट्रल पॉल्यूशन कन्ट्रोल बोर्ड ने 500 के स्केल वाले एयर क्वालिटी इन्डेक्स, यानी AQI को 486 पर रिकॉर्ड किया… मंगलवार को औसत AQI 451 रहा था, और बुधवार को यह 478 दर्ज किया गया था… सेंट्रल पॉल्यूशन कन्ट्रोल बोर्ड की टास्क फोर्स हालात को काबू करने के लिए उठाए गए कदमों की समीक्षा करने की खातिर बुलाई गई बैठक में निष्कर्ष पर पहुंची है कि प्रदूषण का स्तर शनिवार को नीचे आ जाएगा, यानी मौजूदा ‘एमरजेंसी’ की स्थिति से कुछ नीचे…
उधर, दिल्ली सरकार ने भी सोमवार से ऑड-ईवन योजना को फिर लागू करने की घोषणा कर दी है, और उनका दावा है कि इस कदम से वाहनों से होने वाला प्रदूषण आधा रह जाएगा… योजना के तहत जिन कारों के रजिस्ट्रेशन नंबर का आखिरी अंक विषम है, वे विषम तारीखों पर चल पाएंगी, और सम अंक वाली कारें विषम तारीखों पर सड़कों पर आ सकेंगी…