नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को नर्मदा बचाओ आंदोलन (एनबीए) की कार्यकर्ता मेधा पाटकर के खिलाफ मानहानि के आरोप तय किए। पाटकर पर खादी ग्राम उद्योग आयोग (केवीआईसी) के अध्यक्ष वी के सक्सेना ने मामला दर्ज कराया था।
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट निशांत गर्ग ने पाटकर के खिलाफ सक्सेना की शिकायत पर आरोप तय किए। सक्सेना का आरोप है कि पाटकर ने 2006 में एक टीवी चैनल पर उन्हें बदनाम करने वाला बयान दिया था।
मजिस्ट्रेट ने कहा है कि प्रथम दृष्टया इस अपराध के लिए आरोपी के खिलाफ यह मामला बनता है। अदालत ने कार्यकर्ता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत मामला दर्ज किया है और 28 अगस्त को सक्सेना के सबूतों की रिकॉर्डिंग की जाएगी।
कार्यकर्ता और सक्सेना के बीच 2000 से ही कानूनी लड़ाई चल रही है। मेधा पाटकर ने सक्सेना के खिलाफ उन्हें और नर्मदा बचाओ आंदोलन (एनबीए) के खिलाफ विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए मुकदमा दायर कराया था।
सक्सेना तब अहमदाबाद के गैर सरकारी संगठन नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के प्रमुख थे। इसके बाद सक्सेना ने एक टीवी चैनल पर उनके प्रति मानहानिकारक टिप्पणी और प्रेस में उनके खिलाफ अपमानजनक बयान जारी करने को लेकर मेधा पाटकर ने दो मामले दर्ज कराए थे।
सोमवार को कार्यकर्ता के खिलाफ जो मानहानि का एक आरोप तय किया गया है, वह 2006 का मामला था। इस आरोप के अनुसार कार्यकर्ता ने 2006 के अप्रैल महीने में एक समाचार चैनल पर चर्चा के दौरान यह दावा किया था कि सक्सेना को गुजरात के सरदार सरोवर निगम से सिविल कॉन्ट्रैक्ट मिला था, जो कि सरदार सरोवर बांध के काम का प्रबंधन करती है।
सक्सेना ने इस आरोप से इंकार किया था। अदालत ने चल रहे तीन मानहानि के मामलों को अलग किया है। इनमें से एक मामला कार्यकर्ता ने दायर किया था और दो मामले सक्सेना ने दायर किए थे।
पीड़ित महिला का दर्द : शौहर ने तलाक देकर घर से निकाला, ससुर के बाद देवर से हलाला की रखी शर्त
अदालत का मानना है कि यह मामले लंबे समय से लंबित हैं और शीघ्र इसका निपटारा किया जाना जरूरी है। सक्सेना द्वारा दर्ज मामले की सुनवाई के लिए अदालत ने 27 अगस्त की तारीख दी है और कार्यकर्ता द्वारा दर्ज मामले की सुनवाई के लिए 29 अगस्त की तारीख दी है।
अदालत ने मेधा पाटकर और सक्सेना को पहले यह सलाह दी थी कि वह मध्यस्थता के जरिए इस मामले को सुलझा लें लेकिन उन दोनों ने ही इसे मानने से इंकार कर दिया था।