जर्मनी में बूचड़खाने कोरोना वायरस के फैलाव के नए केंद्र बनकर सामने आ रहे हैं. दो हफ्तों के भीतर चौथे बूचड़खाने में दर्जनों लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं.
जर्मनी के एक और बूचड़खाने में सोमवार को कोरोना वायरस के बड़े फैलाव का पता चला. हाल के हफ्तों में देश के कई मीट प्रोसेसिंग प्लांट कोरोना वायरस की चपेट में आए हैं और सैकड़ों लोग संक्रमण का शिकार बने हैं. ताजा मामला लोवर सेक्सनी राज्य का है जहां एक बूचड़खाने के 92 कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. इसके बाद संक्रमित लोगों को उनके घरों पर क्वारंटीन कर दिया गया है और मीट प्लांट में काम रोक दिया गया है.
सोमवार को जर्मन सरकार की “कोरोना कैबिनेट” की कार्यस्थल पर सुरक्षा नियमों पर बैठक होनी थी. लेकिन अब इसे बुधवार तक टाल दिया गया है. उम्मीद है कि इस बैठक में मीट प्रोसेसिंग प्लांटों का मुद्दा खास तौर से उठेगा, जहां काम की परिस्थितियों को लेकर अकसर सवाल उठते रहे हैं. इन प्लांटों में ज्यादातर पूर्वी यूरोपीय देशों से आए अस्थायी कामगार काम करते हैं.
ऐसे ज्यादातर कामगार पोलैंड, रोमानिया और बुल्गारिया से आते हैं. उनके काम की खराब परिस्थितियों और रहन सहन के बारे में बरसों से बात होती रही है, लेकिन कोरोना वायरस के संक्रमण से पहले कभी इस मुद्दे को इतनी गंभीरता से नहीं लिया गया. बीते दो हफ्तों में श्लेसविग होलस्टाइन और नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया जैसे जर्मन राज्यों में मीट प्रोसेसिंग प्लांटों को बंद कर दिया गया क्योंकि वहां 350 से ज्यादा कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव पाए गए. इसके अलावा बवेरिया के एक बूचड़खाने में भी 60 लोग संक्रमित मिले.
जो कर्मचारी स्वस्थ हैं, उनकी शिकायत है कि उन्हें अपने रहने की सीमित सी जगहों पर क्वारंटीन किया गया है और यह भी नहीं बताया जा रहा है कि उन्हें कब बाहर निकलने दिया जाएगा या फिर इस दौरान घर पर रहने के उन्हें पैसे दिए जाएंगे या नहीं.
इस बीच, खाद्य और पेय पदार्थ यूनियन ने सरकार से कहा है कि इस मौके का इस्तेमाल करते हुए वह मीट उद्योग में “बुनियादी बदलाव” करे और बूचड़खानों को स्पष्ट दिशा निर्देश जारी किए जाएं. जर्मनी में बूचड़खानों में ऐसे समय में कोरोना संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं, जब हफ्तों से जारी पाबंदियों में ढील दी जा रही है और धीरे धीरे आम जनजीवन और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की कोशिशें हो रही हैं.(dw.com)