कांग्रेस द्वारा निर्मित ‘ईगल’ की ओर से चुनाव में निष्पक्षता न बरतने की बात कही गई है। जमीनी रिपोर्टों के माध्यम से दावा किया गया है कि इस बात की पुष्टि की गई है कि कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में हजारों मतदाताओं को जोड़ा गया था या अन्य राज्यों से लाया गया था।
पार्टी की इकाई का आरोप है कि इस प्रकार से सत्तारूढ़ दल को सहयोग करने तथा स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के विचार को विफल करने के मक़सद से किया गया है।
पार्टी का यह भी कहना है कि वह इस मुद्दे को कमजोर नहीं होने देगी तथा कानूनी, राजनीतिक, विधायी और अन्य तरीकों से समाधान तलाशने के लिए सक्रिय रहेगी।
याद दिला दें कि कांग्रेस के नेताओं और विशेषज्ञों के विशेषाधिकार प्राप्त कार्य समूह की टीम को ईगल नाम दिया गया है। इस टीम के माध्यम से चुनावी प्रक्रिया से जुड़ी पारदर्शिता की पड़ताल की जा रही है।
ईगल टीम के मुताबिक़, एक मतदाता पहचान संख्या का प्रयोग कई राज्यों में किए जाने का मामला सामने आया है। सोमवार को दावा करते हुए पार्टी ने आरोप लगाया है कि निर्वाचन आयोग मतदाता सूची से संबंधित हेरफेर में संलिप्त है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ ‘ईगल’ ने एक बयान में कहा है- ‘‘मतदाता सूची में हेरफेर के मुद्दे पर कुछ चौंकाने वाले घटनाक्रम सामने आए हैं। एक ही मतदाता पहचान संख्या का उपयोग एक ही राज्य के एक ही निर्वाचन क्षेत्र के साथ-साथ अन्य राज्यों के कई मतदाताओं के लिए किया जा रहा है। ये बिल्कुल चौंकाने वाला है।’’
बयान में आगे कहा गया है कि हर भारतीय वोटर के लिए एक मतदाता पहचान पत्र एक साफ-सुथरी मतदाता सूची की मूलभूत आवश्यकता और आधार है।
आगे पार्टी की इकाई का कहना है कि एक ही मतदाता पहचान संख्या वाले कई मतदाताओं का होना देश में एक ही पंजीकरण संख्या वाले कई वाहनों के समान विचित्र है। पार्टी ने इसे किसी भी चुनावी लोकतंत्र में अनसुना बताया है।
इस हवाले से कांग्रेस पार्टी ने महाराष्ट्र 2024 विधानसभा चुनाव के लिए मतदाता सूचियों में भारी अनियमितताओं और असामान्यताओं की बात कही है।
तार्किकता के आधार पर पार्टी ने सांख्यिकीय बेतुकेपन का हवाला देते हुए कहा है कि चुनाव आयोग ने 2019 और 2024 के बीच पूरे पांच साल की अवधि में दर्ज नए मतदाताओं जो 32 लाख थे, की तुलना में बीते वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव के मद्य पांच महीनों में अधिक नए मतदाता जो 40 लाख हैं, पंजीकृत किए।
इस सांख्यिकीय अनियमितता पर कांग्रेस की इकाई का आरोप है कि यह सत्तारूढ़ दल की सहायता करने के साथ स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के विचार को विफल करते हुए मतदाता सूची में जान बूझकर हेर फेर किए जाने के कारण हुआ है।
अपने आरोप में कांग्रेस ने यह भी कहा कि यही कारण है कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया नरेन्द्र मोदी सरकार के लिए इतनी महत्वपूर्ण है कि उसने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए एक संतुलित समिति बनाने के उच्चतम न्यायालय के फैसले को पलट दिया है।
कांग्रेस पार्टी का कहना है कि वह इस मुद्दे को कमज़ोर नहीं पड़ने देगी और कानूनी, राजनीतिक, विधायी तथा अन्य तरीकों से समाधान खोजने पर सक्रिय रूप से काम कर रही है।