नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने आज कहा कि उन्होंने उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यााधीश के खिलाफ महाभियोग से संबंधी याचिका इसलिए वापस ले ली क्योंकि उन्होंने यह जानकारी नहीं दी गयी कि आखिर किसके आदेश से संविधान पीठ को यह मामला सौंपा गया था।
उच्चतम न्यायालय ने याचिका वापस लिये जाने के मद्देनजर इसे आज खारिज कर दिया। सिब्बल तथा कुछ अन्य सांसदों ने मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग के प्रस्ताव का नोटिस राज्यसभा के सभापति को दिया था जिसे नामंजूर किये जाने के खिलाफ कांग्रेस सांसदों की ओर से यह याचिका दाखिल की गयी थी।
सिब्बल ने यहां कांग्रेस मुख्यालय में जल्दबाजी में बुलाये गये संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उन्होंने न्यायालय से यह बताने का अनुरोध किया था कि किसके आदेश से इस मामले को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ को सौंपा गया लेकिन इस पर कुछ नहीं बताये जाने पर उन्होंने याचिका वापस ले ली।
उन्होंने कहा कि प्रशासनिक आदेश के किसी मामले को संविधान पीठ को नहीं सौंपा जा सकता है। यदि मुख्य न्यायाधीश ने यह आदेश दिया है तो वह आदेश उन्हें दिखाया जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रशासनिक आदेश को चुनौती दी जा सकती है ।
उन्होंने कहा कि न्यायालय ने उन्हें मामले की मेरिट पर बहस करने को कहा लेकिन वह पहले यह जानना चाहते थे कि इस मामले को पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष किसके आदेश से सौंपा गया है। उसके बाद ही याचिका पर बहस की जा सकती थी लेकिन न्यायालय ने उन्हें यह भी नहीं बताया कि उन्हें आदेश की प्रति दी जायेगी या नहीं।