मुंबई। साल 2017 ज्यादातर उन फिल्मों का रहा जिनमें सीधी-सच्ची और भारत के छोटे शहरों से जुड़ी कहानियां सिल्वर स्क्रीन पर उतारी गई हैं। बाहुबली 2, गोलमाल अगेन और इसी शुक्रवार को रिलीज हुई टाइगर जिंदा है जैसी कुछ फिल्मों को छोड़ दें तो इस साल नए चेहरों से सजी छोटी फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस और समीक्षकों, दोनों ही मोर्चो पर तथाकथित मुख्यधारा के सिनेमा या बड़े सितारों की व्यावसायिक फिल्मों को पीछे छोड़ दिया।
फिल्म एक्जिबिटर अक्षय राठी ने का कहना है कि, बॉक्स ऑफिस के लिहाज से देखें तो 2017 खराब साल रहा। फिल्म उद्योग के लिए यह समझने का वक्त है कि उन्हें दर्शकों का मनोरंजन करने के लिए गंभीरता से काम करना होगा और उन्हें वो सिनेमाई अनुभव देना होगा जिसके लिए वे पैसा देते हैं। उन्होंने कहा, इस साल देखा गया कि स्क्रिप्ट दरअसल ज्यादा महत्वपूर्ण है, ना कि बड़े सितारे। कुछ फिल्मों में कोई नामी चेहरा नहीं था लेकिन अच्छी विषयवस्तु की वजह से उनका प्रदर्शन शानदार रहा।
साल की शुरूआत रितिक रोशन की काबिल और शाहरख खान की रईस की टक्कर के साथ हुई। दोनों ने बॉक्स ऑफिस पर संतोषजनक कारोबार किया। अक्षय कुमार अभिनीत जॉली एलएलबी 2, वरण धवन और आलिया भट्ट की बद्रीनाथ की दुल्हनिया, इरफान खान और पाकिस्तानी अभिनेत्री सबा कमर की हिंदी मीडियम और श्रीदेवी की मॉम कम बजट की सफल फिल्मों में गिनी गई।
अक्षय ने टॉयलेट-एक प्रेम कथा के साथ अच्छा कारोबार किया। इसके अलावा बरेली की बर्फी, शुभ मंगल सावधान के साथ ही राजकुमार राव की न्यूटन भी दर्शकों को पसंद आई। न्यूटन को 90वें एकेडमी अवार्ड में सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा वाली फिल्म के रूप में भारत की आधिकारिक प्रविष्टि के रूप में भेजा गया था।
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राठी ने कहा कि यह साल सीक्वल वाली फिल्मों के लिए भी रहा। बाहुबली द कनक्लूजन, जॉली एलएलबी 2, बद्रीनाथ की दुल्हनिया, गोलमाल अगेन और फुकरे रिटर्न्स इनमें शामिल हैं। साल 2017 बॉक्स ऑफिस पर जमकर कमाई कर रही सलमान खान और कैटरीना कैफ की टाइगर जिंदा है के साथ समाप्त हो रहा है। रिलीज के चौथे दिन फिल्म 150 करोड़ रुपए की कमाई के आंकड़े को पार कर चुकी है। एक था टाइगर की सीक्वल और अली अब्बास जफर निर्देशित टाइगर जिंदा है सलमान के लिए राहत लेकर आई है जिन्हें इस साल ट्यूबलाइट की नाकामी ने निराश कर दिया था।