साल 2013 में भारत में करीब पांच हजार अंग प्रत्यारोपण हुए थे जबकि साल 2023 में यह संख्या बढ़कर 18 हजार से अधिक हो गई। यह जानकारी एनओटीटीओ यानी नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन की 2023-24 की वार्षिक रिपोर्ट से मिली है।
भारत जैसे बड़े देश के लिए यह संख्या बेहद कम है। आंकड़े बताते हैं कि देश में पांच लाख लोगों को अंग प्रत्यारोपण की जरूरत होती है। यहाँ हर दस लाख लोगों में से औसतन एक व्यक्ति ही अंगदान करता है। इतनी कम संख्या के चलते हर साल देश में महज़ दो-तीन फीसदी मांग ही पूरी हो पाती है।
भारत में अंगदान एवं प्रत्यारोपण की प्रक्रिया मानव अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 के तहत की जाती है। केंद्र सरकार ने अंगदान करने वाले कर्मचारियों को कुछ सुविधाएं देने का फैसला किया है। इसके लिए कुछ नियम भी बनाए गए हैं।
केंद्र सरकार की तरफ से अंगदान को बढ़ावा देने के प्रोत्साहन हेतु क़दम उठाए गए हैं। अंगदान करने वाले सरकारी कर्मचारी को 42 दिन तक की छुट्टी दी जा रही है। ये छुट्टियां स्पेशल कैजुअल लीव के तौर मिलेंगी। केंद्रीय मंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में दो अप्रैल को यह जानकारी प्रस्तुत की।
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है कि अंगदाता के शरीर से अंग का निकालना एक बड़ी सर्जरी है। नोटिस में इस सर्जरी की रिकवरी के लिए समय दिए जाने की बात कही गई है। बताते चलें कि भारत में अंगदान एवं प्रत्यारोपण की प्रक्रिया मानव अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 के तहत की जाती है।
नोटिस के मुताबिक, अंगदान करने वाले कर्मियों को सरकारी डॉक्टर की सिफारिश पर अधिकतम 42 दिन की स्पेशल कैजुअल लीव ही दी जाएगी। नियमानुसार, इन छुट्टियों के साथ कोई अन्य छुट्टी नहीं ली जा सकती है मगर सर्जरी में समस्या होने की दशा में डॉक्टर की सलाह पर इस नियम में छूट मिल सकेगी।
रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2023 में 15 हजार से ज्यादा जीवित लोगों ने अंगदान किया था। इनमें पुरुषों से ज्यादा महिलाओं की संख्या देखी गई। रिपोर्ट से पता चलता है कि 1,100 मृतकों ने भी अंग दान किए हैं। देश में साल 2023 में तकरीबन 220 हृदय प्रत्यारोपित किए गए जबकि 4,500 लिवर तथा 13 हजार से अधिक किडनी ट्रांसप्लांट हुए।