लंदन : लंदन में रह रहे भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या को प्रत्यर्पित करने की भारत की मांग को ब्रिटेन की सरकार ने मंजूर कर लिया है। वहां की सरकार ने भारत के अनुरोध को लंदन की वेस्टमिंस्टर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में भेज दिया है। British court
कोर्ट द्वारा वारंट जारी किए जाने के बाद विजय माल्या को प्रत्यर्पित करने की कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने शुक्रवार को बताया, ‘ब्रिटेन की सरकार ने जानकारी दी है कि माल्या के प्रत्यर्पण की भारत की मांग को वेस्टमिंस्टर अदालत में भेज दिया गया है।’
माल्या पर सरकारी बैंकों से लिए गए नौ हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के कर्ज की देनदारी है। माल्या ने करीब 8.2 हजार करोड़ रुपए अपनी कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस समेत कई कंपनियों के नाम पर ले रखे थे।
बैंकों की शिकायत पर उसके खिलाफ भारत सरकार का प्रवर्तन निदेशालय और केंद्रीय जांच ब्यूरो समेत कई एजंसियां जांच कर रही हैं।
उसके खिलाफ आर्थिक गबन के कई मामले चल रहे हैं। कुछ मामलों में अदालत के निर्देश पर माल्या की कंपनियों के स्वामित्व वाली परिसंपत्तियां जब्त की गई हैं।
बैंकों का कर्ज न चुकाने और देश छोड़कर भाग जाने के कारण माल्या के प्रकरण में सरकारी को खासी शर्मिंदगी उठानी पड़ी है। जब बैंकों ने कर्ज वसूली के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया तो माल्या मार्च 2016 में ब्रिटेन भाग गया।
आगे की कार्रवाई के लिए भारत सरकार ने इसी साल फरवरी में विजय माल्या के प्रत्यर्पण का आग्रह पत्र ब्रिटेन के विदेश मंत्री को भेजा था।
इस आग्रह पत्र को वहां के विदेश मंत्री ने सत्यापित कर दिया। उसके बाद मामले को लंदन की अदालत में भेजा गया। नियमानुसार, अदालत से वारंट जारी होने के बाद लंदन स्थित भारतीय मिशन और भारतीय जांच एजंसियां अगली कार्रवाई करेंगी।
ब्रिटिश विदेश मंत्रालय ने भारत सरकार के आग्रह पत्र को वहां के गृह मंत्रालय को भेजा। गृह मंत्रालय ने वेस्टमिंंस्टर कोर्ट से वारंट जारी करने की अपील की है।
गोपाल बागले के अनुसार, ‘17 फरवरी को ही ब्रिटेन सरकार के गृह मंत्रालय ने बताया था कि माल्या के प्रत्यर्पण की मांग पर विदेश मंत्रालय विचार कर रहा है।’
प्रवर्तन मंत्रालय के मुकदमे के संदर्भ में भारत सरकार ने 23 अप्रैल, 2016 को माल्या का पासपोर्ट रद्द कर दिया था। नवंबर, 2016 में उसे विशेष अदालत ने भगोड़ा घोषित कर दिया था।
कई बार माल्या को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) अधिनियम के तहत जांच के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय के जांचकर्ताओं के सामने पेश होने के लिए कहा गया, लेकिन वह पेश नहीं हुआ।
इस साल 31 जनवरी को सीबीआइ अदालत ने 720 करोड़ के आइडीबीआई बैंक लोन डिफॉल्ट केस में माल्या के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था।
आग्रह पत्र भेजते हुए भारत ने ब्रिटेन को भरोसा दिलाया था कि माल्या के खिलाफ निरपेक्ष भाव से मुकदमा चलाया जाएगा और दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि की भावनाओं का ख्याल रखा जाएगा।
दरअसल माल्या ने लंदन में भारत सरकार पर उसके खिलाफ साजिश करने का आरोप लगाया था। उसने दावा किया था, ‘केंद्र सरकार पर मुझे दोषी ठहराने का बड़ा दबाव है और बगैर पारदर्शी कानूनी कार्रवाई के मुझे दोषी ठहराने की कोशिश की जा रही है।’
उसने भारत के महाधिवक्ता मुकुल रोहतगी पर आरोप लगाया था कि वे सुप्रीम कोर्ट में उसे दोषी करार दिलाने की तैयारी कर रहे हैं, क्योंकि सरकार ऐसा ही चाहती है।