नई दिल्ली. बाबरी ढांचा गिराने के मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत 12 लोगों पर साजिश रचने के आरोप में केस चलेगा। ऐसे में सवाल ये है कि क्या ट्रायल का सामना कर रहे आडवाणी-जोशी प्रेसिडेंट इलेक्शन लड़ पाएंगे? जुलाई में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए दोनों नेता बीजेपी के संभावित कैंडिडेट्स में गिने जा रहे हैं। कानूनी जानकारों का कहना है कि ट्रायल के दौरान कोई दोषी नहीं होता। लिहाजा, आडवाणी-जोशी या बाकी आरोपियों के चुनाव लड़ने में कोई कानूनी रुकावट नहीं है।
बाबरी केस में 12 लोगों पर आरोप तय
मंगलवार को आडवाणी-जोशी, उमा समेत 12 आरोपी सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में पेश हुए। कोर्ट ने उन्हें 50-50 हजार के निजी मुचलके पर जमानत दी। इसके बाद उन्हें बरी करने के लिए पिटीशन दायर की गई, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। कोर्ट ने सभी 12 लोगों पर आरोप तय कर दिए हैं। बता दें कि 19 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अयोध्या में विवादित ढांचा गिराने के मामले में आडवाणी समेत सभी आरोपियों पर आपराधिक साजिश का केस चलेगा। इस मामले में दायर किए गए दोनों केस को दो साल के अंदर खत्म करने को कहा था।
किन लोगों पर केस है?
लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार, विष्णु हरि डालमिया, साध्वी ऋतंभरा, महंत नृत्य गोपाल दास, महंत राम विलास वेदांती, बैकुंठ लाल शर्मा उर्फ प्रेमजी, चंपत राय बंसल, महंत धरम दास और सतीश प्रधान। कल्याण सिंह फिलहाल राजस्थान के गवर्नर हैं। सुप्रीम कोर्ट ने संवैधानिक पद पर रहने की वजह से इस मामले से उन्हें दूर रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जब तक वे इस पद पर हैं, उनके खिलाफ केस दर्ज न किया जाए। लेकिन विपक्ष उनके इस्तीफे की मांग कर सकता है। ढांचा गिराए जाने के वक्त कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के सीएम थे। इसलिए 12 लोगों के खिलाफ मंगलवार को सुनवाई हुई।
इनके अलावा बाल ठाकरे, गिरिराज किशोर, अशोक सिंघल, महंत अवैद्यनाथ, परमहंस राम चंद्र और मोरेश्वर सावे के नाम भी हैं। इन सभी लोगों का निधन हो चुका है।