नई दिल्ली। अपने ही आश्रम की एक नाबालिग लड़की का यौन शोषण करने के मामले में तीन साल से जेल में बंद स्वयंभू संत आसाराम बापू को एक और झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उन्हें स्वास्थ्य के आधार पर अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया। अदालत ने हालांकि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को उनकी स्वास्थ्य समस्याओं की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय मेडिकल बोर्ड के गठन का निर्देश दिया है।
आसाराम दो सितंबर, 2013 से राजस्थान की जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं। उन पर पोक्सो एक्ट के तहत मुकदमा चल रहा है। एक 16 वर्षीय लड़की ने 20 अगस्त, 2013 को आसाराम के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि उन्होंने जोधपुर के पास स्थित अपने आश्रम में उसका यौन शोषण किया था, जिसके बाद 72 वर्षीय आसाराम को गिरफ्तार कर लिया गया था।
न्यायाधीश न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर और न्यायमूर्ति आर. के. अग्रवाल की खंडपीठ ने गुरुवार को आसाराम की जमानत याचिका खारिज करने के राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए एम्स के निदेशक को उनकी स्वास्थ्य जांच के लिए तीन सदस्यीय मेडिकल बोर्ड के गठन का निर्देश दिया।
शीर्ष न्यायालय ने उनकी स्वास्थ्य रिपोर्ट 10 दिनों में पेश करने का आदेश देते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने मांग की थी कि उन्हें एक या दो महीने के लिए अंतरिम जमानत पर छोड़ दिया जाए, ताकि वह केरल जाकर आयुर्वेद की पंचकर्म पद्धति से अपना उपचार करा सकें।
आसाराम के वकील राजू रामचंद्रन ने दलील में कहा कि उच्च न्यायालय के नौ अगस्त के आदेश में आसाराम की शारीरिक समस्याओं को ध्यान में नहीं रखा गया। रामचंद्रन ने शीर्ष न्यायालय को बताया कि आसाराम को अपने पेशाब और मलत्याग पर नियंत्रण न रह पाने संबंधी समस्या है।