द लांसेट में प्रकाशित एक नए अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि 2050 तक लगभग एक तिहाई बच्चे और किशोर मोटापे और अधिक वजन से प्रभावित होंगे।
विश्व मोटापा महासंघ के अध्यक्ष साइमन बार्केरा का कहना है कि विकासशील देश मोटापे से सबसे अधिक प्रभावित हैं।उन्होंने यह भी कहा कि मोटापे और अधिक वजन की दर में वृद्धि दुनिया भर में सबसे महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक है।
भारत की बात करें तो यहाँ 10 करोड़ से ज्यादा लोग मोटापे का शिकार हैं। बच्चे भी इस समस्या की चपेट में हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते है, सभी लोगों को मोटापा बढ़ने के कारणों के बारे में जानना और इससे बचाव करते रहना बेहद जरूरी है।
शोध कहता है कि मोटापे के कारण जटिल हैं, फिर भी इसके लिए सरकारों सबसे अधिक जोखिम वाली आबादी में स्वस्थ खाद्य पदार्थों तक पहुंच को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अनुमानों का उपयोग करना चाहिए।
इसके अलावा, विश्व मोटापा महासंघ द्वारा सोमवार को विश्व मोटापा एटलस में प्रकाशित एक अध्ययन में भी यह मुद्दा उठाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 3.8 बिलियन वयस्क और 746 मिलियन बच्चे और किशोर मोटापे से ग्रस्त हो सकते हैं। शोध से पता चला है कि मोटापे के कारण मधुमेह, कैंसर और हृदय रोग जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।
संयुक्त राज्य अमरीका के वाशिंगटन विश्वविद्यालय के स्वास्थ्य मैट्रिक्स एवं मूल्यांकन संस्थान में प्रोफेसर और अनुसंधान प्रमुख इमैनुएल गाकिडोउ ने दुनिया भर में मोटापे और अधिक वजन की दरों में तेजी से हो रही वृद्धि को एक गंभीर त्रासदी और एक बड़ी सामाजिक विफलता बताया है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि पिछले तीन दशकों में मोटापे और अधिक वजन की दर दोगुनी से भी अधिक हो गयी है। इसके लिए शोधकर्ताओं ने अपने शोध के लिए 204 देशों और क्षेत्रों के डेटा का उपयोग किया।