पटना में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स पटना में संस्कृत की पढ़ाई शुरू की गई है. इस हफ़्ते डॉक्टरी के छात्रों के लिए संस्कृत की पहली क्लास लगी जिसमें 18 छात्र शामिल हुए. केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने नौ महीने के इस कोर्स के लिए एक संस्कृत शिक्षक नियुक्त किया है.
इसकी पढ़ाई करने वालों को परीक्षा के बाद सर्टिफ़िकेट भी मिलेगा. सीट उपलब्ध होने पर चिकित्सक और अन्य कर्मचारी भी संस्कृत की पढ़ाई कर पाएंगे.
एम्स पटना के निदेशक डाक्टर गिरीश कुमार सिंह के मुताबिक़ यह कोर्स डाक्टरों के लिए बहुत उपयोगी है.
संस्कृत पुस्तक
वे कहते हैं, “इस भाषा के ज्ञान से डाक्टर्स को ‘ह्यूमन बीईंग’ बनने में बड़ा लाभ होगा. आयुर्वेद और आयुष में ज्यादातर मैटेरियल संस्कृत में ही हैं. संस्कृत में मानसिक शान्ति पर भी बहुत साम्रगी उपलब्ध है.”
उत्तर प्रदेश के पीलीभीत के सावन पांडेय एम्स पटना में एमबीबीएस के अंतिम वर्ष के छात्र हैं.
संस्कृत की पढ़ाई उनके लिए कितनी फायदेमंद होगी, इस सवाल के जवाब में वे कहते हैं, “अभी हम फ़ायदे-नुकसान के हिसाब से नहीं सोच रहे लेकिन बहुत सारे छात्र इसमें रुचि दिखा रहे हैं. यह भाषा सीखने के बाद हम इसमें उपलब्ध साम्रगी को जान पाएंगे.”
यह एक अनिवार्य विषय नहीं है और इसे पढ़ने वालों को हफ़्ते में छह घंटे की क्लास करनी होगी. उत्तर प्रदेश के ही पुनीत शर्मा भी कुछ दूसरे छात्रों की तरह संस्कृत पढ़ाने की शुरुआत को एक अच्छी पहल मानते हैं.
लेकिन पुनीत जैसों की एक परेशानी भी है. वे बताते हैं, “यह एक अच्छा मौक़ा है. छात्र उत्साहित हैं लेकिन नियमित पढ़ाई के बीच संस्कृत पढ़ने के लिए हफ़्ते में छह घंटे निकालना काफ़ी मुश्किल होगा.”
वहीं बिहार के बेतिया के छात्र सतीश कुमार कहते हैं, “संस्कृत पढ़ाया जाना अच्छी बात है लेकिन हमारे लिए फ्रेंच, जर्मन, चाइनीज जैसे विषयों की पढ़ाई ज़्यादा फायदेमंद होती. इन भाषाओं में चिकित्सा विज्ञान का कहीं ज़्यादा ज्ञान उपलब्ध है.”
डॉ वीणा कुमार, प्लास्टिक सर्जन, एम्स पटना
संस्कृत की पढ़ाई को लेकर यहां के डॉक्टर भी उत्साहित हैं. प्लास्टिक सर्जन वीणा कुमार बताती हैं, “संस्कृत पढ़ना स्कूल के पुराने दिनों में लौटने जैसा होगा. बहुत से पुराने ग्रंथ तो सिर्फ़ संस्कृत में ही उपलब्ध हैं. महर्षि सुश्रुत प्लास्टिक सर्जरी के पिता माने जाते हैं. उनकी भी बहुत सारी किताबें संस्कृत में हैं.”
उत्तर प्रदेश के अमेठी के विमलेश मिश्रा के कंधों पर एम्स पटना में संस्कृत पढ़ाने की जिम्मेदारी है. वे अपने पढ़ाने के तरीकों के बारे में बताते हैं, “शुरुआत हम बुनियादी चीजों से करेंगे. हमारी कोशिश होगी कि हम चीज़ों को दिखाकर पढ़ाएं. जैसे अगर फूल को पुष्पम कहते हैं, यह बताना हो तो फूल का चित्र दिखाकर बताएंगे. कोर्स से संबंधित कई स्लाइड्स तैयार किए गए हैं.”
विमलेश मिश्रा, संस्कृत शिक्षक
विमलेश के मुताबिक़ आगे चलकर ऋषि-मुनियों, महापुरुषों की जीवनी को छोटे-छोटे वाक्यों के ज़रिए बताकर भी पढ़ाया जाएगा. इस सूची में वेद व्यास, विवेकानंद, भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद जैसे नाम शामिल हैं.
वहीं संस्कृत के बहाने शिक्षा के भगवाकरण को बढ़ावा दिए जाने के आरोपों पर एम्स निदेशक फ़िल्म अमर-प्रेम का गीत “कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना” गुनगुना कर अपना जवाब सामने रखते हैं.