ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में अफ़ग़ान मुद्रा को 2023 की तीसरी तिमाही की सबसे मज़बूत मुद्रा बताया गया है। अफ़ग़ानी मुद्रा 26 सितंबर को अमरीकी डॉलर के मुकाबले लगभग 78.25 पर कारोबार कर रही थी।
रिपोर्ट के मुताबिक, अफगान की करेंसी “अफगानी” 2023 की अब तक की तीसरी सबसे मजबूत मुद्रा है। अरबों डॉलर की मानवीय सहायता और एशियाई देशों के साथ बढ़ते व्यापार ने अफ़ग़ानी मुद्रा को इस तिमाही में वैश्विक रैंकिंग में शीर्ष पर पहुंचा दिया है।
ब्लूमबर्ग द्वारा जारी तिमाही आंकड़ों के अनुसार, अफ़ग़ानी मुद्रा 9 प्रतिशत चढ़ गई है, जो कोलंबियाई पेसो से बेहतर प्रदर्शन कर रही है। पेसो ने इसी अवधि के दौरान 3 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की थी। अफ़ग़ानी मुद्रा 26 सितंबर को अमरीकी डॉलर के मुकाबले लगभग 78.25 पर कारोबार कर रही थी।
प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, अफ़ग़ानी मुद्रा में साल-दर-साल बढ़ोत्तरी के आधार पर 14 प्रतिशत का इज़ाफ़ा हुआ है, जो इसे कोलंबिया और श्रीलंका की मुद्राओं के बाद तीसरा सबसे मजबूत प्रदर्शनकर्ता बनाता है।
अफगानिस्तान की करेंसी 'अफगानी' सितंबर तिमाही में दुनिया की सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली करेंसी रही। इसमें तीन महीनों में 9% और एक साल में 14% की रैली देखने को मिली है। अभी डॉलर के मुकाबले अफगानी की वैल्यू 78.25 है।#Afghanistan #Currency https://t.co/a549ngMp30
— Dainik Bhaskar (@DainikBhaskar) September 28, 2023
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट कहती है कि गरीबी से जूझ रहे देश के लिए यह एक असामान्य कदम है। गौरतलब है कि अगस्त 2021 में काबुल पर फिर से नियंत्रण पाने के बाद, तालिबान ने मुद्रा व्यापार पर रोक लगा दी थी।
अफ़ग़ानी अर्थव्यवस्था को बरक़रार रखने में विदेशी सहायता की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। यहाँ सहायता की राशि अरबों डॉलर तक पहुंच गई।
संयुक्त राष्ट्र ने अफ़ग़ान को सहायता और विकास के रूप में 5.8 बिलियन डॉलर की सहायता दी, क्योंकि अगस्त 2021 में शासन परिवर्तन के कारण पश्चिम एशियाई राष्ट्र में मानवीय संकट पैदा हो गया था।
इस सहायता राशि का 4 बिलियन डॉलर 2022 में हस्तांतरित किया गया, ऐसे समय में जब लगभग 2 करोड़ अफगानों को जानलेवा भूख का सामना करने की आशंका थी।
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अफ़ग़ानों को अमरीकी डॉलर और पाकिस्तानी रुपये का उपयोग करने से रोक दिया गया है।
अफ़ग़ानी मुद्रा को बढ़ावा देने के लिए यहाँ ऑनलाइन ट्रेडिंग पर प्रतिबंध लगा दिया गया, जिससे मुद्रा मजबूत हुई है। ब्लूमबर्ग रिपोर्ट ये खुलासा भी करती है कि कि कोलंबियाई पेसो और श्रीलंकाई रुपया अफ़ग़ानी मुद्रा से बेहतर हैं।