हर साल दुनिया भर में अचानक दिल की बीमारी से 5 मिलियन से ज़्यादा लोगों की जान जाती है। अक्सर, ये घातक घटनाएँ बिना किसी चेतावनी के होती हैं, और ऐसे लोगों को प्रभावित करती हैं जिन्हें हृदय रोग का कोई पूर्व निदान नहीं होता।
पेरिस सिटी यूनिवर्सिटी और पेरिस पब्लिक हॉस्पिटल ग्रुप (एपी-एचपी) के शोधकर्ताओं ने संयुक्त राज्य अमरीका में सहकर्मियों के साथ मिलकर मानव मस्तिष्क के अनुरूप एक आर्टिफिशियल तंत्रिका नेटवर्क तैयार किया है। भविष्य में इस एल्गोरिदम का उपयोग जोखिमग्रस्त दिल के मरीजों की देखभाल में किया जा सकेगा।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से दिल के दौरे के संभावित कारणों को पहले से ही अनुमान के आधार पर रोका जा सकता है। यह जानकारी एक विदेशी मेडिकल जर्नल में प्रकाशित शोध के बाद सामने आई है।
240,000 से अधिक एम्बुलेटरी इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी) से प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण करके, एआई एल्गोरिदम दो सप्ताह के पहले किसी मरीज की हृदय रोग और जान लेवा किस्म के दिल के दौरे की सफलतापूर्वक भविष्यवाणी कर सकता है। रिपोर्ट से पता चला है कि अधिक जोखिम वाले रोगियों की पहचान करने में यह 70% से अधिक सटीक पाया गया।
यूरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित एक नए अध्ययन के अनुसार, अचानक हृदय संबंधी मृत्यु के कई मामलों को रोकने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
दुनियाभर से मिलने वाली रिपोर्टों के अनुसार, अचानक दिल के दौरे से प्रतिवर्ष 5 मिलियन लोगों की मृत्यु होती है, जिनमें से कई लोगों का दिल की बीमारी का कोई मेडिकल रिकॉर्ड नहीं होता है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बदौलत, शोधकर्ता नए कमज़ोर संकेतों की पहचान करने में सक्षम थे जो बीमारी के जोखिम की सूचना देते हैं। वे विशेष रूप से हृदय संकुचन और विश्राम के एक पूरे चक्र के दौरान हृदय निलय को विद्युत रूप से उत्तेजित करने और आराम करने के लिए आवश्यक समय में रुचि रखते थे।
इसके बारे में शोधकर्ता कहते हैं कि चिकित्सा पद्धति में इस्तेमाल किए जाने से पहले इस तकनीक का नैदानिक परीक्षणों में मूल्यांकन किया जाना आवश्यक है। आगे उनका कहना है कि एआई में गंभीर समस्या की रोकथाम को मौलिक रूप से बदलने की क्षमता है।