गुजरात के एक जोड़े हर्ष और मुर्दु ने हाल ही में अपनी 64वीं शादी की सालगिरह एक अनोखे तरीके से मनाई। इस आयोजन के माध्यम से दोनों को आखिरकार एक वास्तविक विवाह समारोह का लुत्फ़ लिया। दरअसल इस अनुभव से यह दोनों छह दशक पहले वंचित रह गए थे, क्योंकि इन्होंने भागकर ख़ुफ़िया तौर से यह शादी की थी।
गुजरात के इस जोड़े ने 1961 में घर से भाग कर शादी की थी। अब यह जोड़ा 64 साल बाद परिवार की मौजूदगी में पूरे रीति-रिवाज से दोबारा शादी करने की वजह से सुर्खियों में है।विवाह समारोह के दौरान दम्पति के बच्चे और पोते-पोतियां भी उपस्थित थे और उन्होंने इस कार्यक्रम में खूब बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।
अस्सी की उम्र में शादी करने वाले हर्ष जैन थे और मृदु ब्राह्माण।अलग-अलग मज़हब का होने की वजह इन्होंने भागकर ख़ुफ़िया तौर से शादी की थी।
इस जोड़े की यात्रा 1960 के दशक के प्रारंभ में शुरू हुई, यह वह समय था जब भारत में अंतर्जातीय विवाहों को को अच्छी निगाह से नहीं देखा जाता था।
जैन धर्म के हर्ष और ब्राह्मण मुर्दु की मुलाकात स्कूल में हुई थी और जल्द ही पत्रों के माध्यम से उनके बीच संबंध विकसित हो गए।
हालाँकि, जब मृदु के परिवार को उनके रिश्ते के बारे में पता चला, तो उन्होंने इसका कड़ा विरोध किया। सामाजिक अस्वीकृति के बावजूद, हर्ष और मृदु ने अपने परिवारों के समर्थन के बिना भागकर गुप्त रूप से विवाह कर लिया।
ऐसे में उन्होंने परिवार के खिलाफ जाकर एक-दूजे संग रिश्ता निभाने के लिए भागना सही समझा था। दोनों ने शादी करके अपनी दुनिया बसा ली, तब उनकी शादी बाकी लोगों की तरह नहीं हो पाई।