जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए पर्याप्त प्रयासों में कमी को देखते हुए विश्व मौसम विज्ञान संगठन की प्रमुख ने चेतावनी दी है। डब्ल्यूएमओ प्रमुख सेलेस्टे साउलो का कहना है कि सरकारें और निजी क्षेत्र की जलवायु के प्रति अनदेखी का नतीजा भविष्य की पीढ़ियों को भुगतना पड़ेगा।
साउलो से जब यह सवाल किया गया कि क्या दुनिया भर की सरकारें और निजी क्षेत्र जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए पर्याप्त काम कर रहे हैं? तो इस पर उनका जवाब था- ‘निश्चित रूप से नहीं।’
सेलेस्टे साउलो पिछले दिनों भारत यात्रा पर थी। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि इस समय अर्थव्यवस्था पर अपना नजरिया बदलने के साथ स्थिरता को प्राथमिकता देने की ज़रूरत है।
मौसम विज्ञान संगठन प्रमुख साउलो सेलेस्टे का कहना है कि ‘जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक मुद्दा है और सभी की जिम्मेदारी है। उनके मुताबिक़, जो कुछ हुआ है उसके लिए हम जिम्मेदार नहीं हो सकते हैं, मगर हम पर कार्रवाई की जिम्मेदारी है।
इस मुद्दे पर चिंता जताते हुए सेलेस्टे साउलो का कहना है कि पृथ्वी उस बिंदु पर पहुंच गई है जहां से वापसी संभव नहीं है। उन्होंने याद दिलाया कि वर्ष 2015 में पेरिस जलवायु शिखर सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभाव से बचने के लिए दीर्घकालिक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तर के 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने का आह्वान किया गया था।
डब्ल्यूएमओ ने पिछले सप्ताह कहा था कि 2024 में 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा पार होने के बाद बीता साल सबसे गर्म वर्ष के रूप में दर्ज किया गया।
आगे वह कहती हैं कि कुछ बड़े खिलाड़ी जलवायु पर विचार किए बिना निर्णय ले रहे हैं, जो आखिरकार नुकसानदेह होगा। पेरिस समझौते का हवाला देते हुए उनका कहना था कि 20 से 31 साल की अवधि में जलवायु परिवर्तन 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा को स्थायी रूप से पार करने की बात कही गई है, जबकि कई विशेषज्ञों की माने तो दुनिया पहले ही ऐसे चरण में प्रवेश कर चुकी है जहां तापमान लगातार इस सीमा से अधिक रहने वाला है।
आगे साउलो ने कहा कि इस बात के स्पष्ट प्रमाण हैं कि मौसम की चरम घटनाएं बढ़ रही हैं और तीव्रता एवं आवृत्ति में ये और अधिक गंभीर होती जा रही हैं।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन से पारिस्थितिकी तंत्र को बहुत नुकसान पहुंचेगा क्योंकि उनका नाजुक संतुलन बिगड़ जाएगा।
साउलो ने अपने जवाब में समुद्र के बढ़ते स्तर को भी कुछ देशों के ‘अस्तित्व’ के लिए एक खतरा बताया। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के लिए वह आम लोगों को दोषी नहीं मानतीं मगर उन्हें भी इस मुद्दे के समाधान में शामिल होने की आवश्यकता है।