आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में तेज़ी से हो रहे बदलाव पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटरेस ने दुनिया को आगाह किया है। उनका कहना है कि इस समय मानवता को टैक्नॉलॉजी ने पछाड़ दिया है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने गुरूवार को सुरक्षा परिषद की बैठक में बताया है कि निरीक्षण व संचालन क्षमता में एआई से मानवता के पिछड़ने के रुझान वैश्विक शान्ति और सुरक्षा के लिए बड़े ख़तरे की वजह बन सकते हैं।
यूएन महासचिव ने एआई को एक ऐसी दोधारी तलवार की तरह बताया, जिसमें अपार सम्भावनाएँ व लाभ निहित हैं, मगर अनेक ख़तरे भी हैं।
यूएन प्रमुख ने सचेत किया कि इन उभरती हुई टैक्नॉलॉजी पर भूराजनैतिक प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है, मगर इससे अन्तरराष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा हालात को अस्थिर नहीं होने देना होगा।
सदस्य देशों के प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए महासचिव ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमता टेक्नोलॉजी के लिए अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर बचाव के उपाय करने के साथ निर्णायक क़दम उठाए जाने होंगे।
आगे उन्होंने चेतावनी में कहा- “अन्तरराष्ट्रीय रक्षा उपाय स्थापित करने में होने वाली देरी के हर एक क्षण से हम सभी के लिए ख़तरा बढ़ता जाएगा।”
इस विषय पर उनका कहना था कि एआई में त्वरित बदलावों और मानव निरीक्षण क्षमता के बीच अन्तर बढ़ने से जवाबदेही, समानता, सुरक्षा व मानव निरीक्षण व्यवस्था के लिए बड़े सवाल खड़े होंगे।
यूएन प्रमुख ने सलाह देते हुए कहा कि किसी भी देश को सशस्त्र टकराव के दौरान एआई के ऐसे सैन्य इस्तेमाल, तैनाती, डिज़ाइन या टैक्नॉलॉजी विकास से बचना होगा, जिससे अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी और मानवाधिकार क़ानूनों का हनन हो।
गौरतलब है कि इनमें सैन्य टकराव के दौरान ठिकानों को निशाना बनाने के लिए स्वायत्त एआई प्रणाली पर निर्भरता भी है, जिसमें टैक्नॉलॉजी की मदद से स्वत: चयन किया जाता है।
उदहारण के तौर पर एआई की मदद से जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले विस्थापन या बारूदी सुरंगों का पता लगाना सम्भव है मगर, सैन्य प्रणालियों में इसे शामिल किए जाने और डिजिटल सुरक्षा में ग़लत इस्तेमाल से बड़े ख़तरे हैं।
उन्होंने ध्यान दिलाया कि हाल के समय में हिंसक टकरावों के दौरान एआई के सैन्य इस्तेमाल का परीक्षण किया गया है। इस टैक्नॉलॉजी के ज़रिये स्वायत्त ढंग से स्थिति की निगरानी की गई, और जीवन-मृत्यु से जुड़े फ़ैसले भी लिए गए।
उन्होंने चिन्ता जताई कि एआई को परमाणु हथियारों में एकीकृत किया जाना, विशेष रूप से चिन्ता की वजह है और क्वांटम-एआई प्रणाली से वैश्विक सुरक्षा अस्थिरता का शिकार हो सकती है।
“मानवता के भाग्य को किसी एक ऐल्गोरिथम के ‘ब्लैक बॉक्स’ के भरोसे नहीं छोड़ना होगा।” इस क्रम में, उन्होंने बल प्रयोग से जुड़े निर्णयों में मानव नियंत्रण की अहमियत को रेखांकित किया है।
यूएन प्रमुख ने सूचना के क्षेत्र में एआई की भूमिका को एक बड़ी चिन्ता का विषय बताते हुए ‘डीपफ़ेक’ और एआई द्वारा जानबूझकर तैयार की गई ग़लत जानकारी से सार्वजनिक राय को बदले जाने की बात कही। यह ऐसे संकटों को हवा देता है जिससे समाजों में भरोसा कमज़ोर होगा।
सदस्य देशों के प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए यूएन प्रमुख का कहना था- “अभूतपूर्व वैश्विक चुनौतियाँ, अभूतपूर्व वैश्विक सहयोग की पुकार लगाती हैं।” आगे उन्होंने कहा कि एक साथ मिलकर, यह सुनिश्चित करना होगा कि एआई का लाभ हर किसी तक पहुँचे व इससे विषमताएँ और पैनी ना हों।