संयुक्त राष्ट्र महासभा ने फिलिस्तीन के पक्ष में एक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिसमें इजराइल को एक साल के भीतर फिलिस्तीनी क्षेत्रों पर अपना कब्जा खत्म करने का आदेश दिया गया है।
अंतर्राष्ट्रीय समाचार एजेंसी के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान, तुर्की और कतर द्वारा प्रस्तुत संयुक्त प्रस्ताव के पक्ष में 124 देशों ने मतदान किया, जबकि 14 देशों ने इसका विरोध किया और 43 देशों के सदस्य इस मतदान में शामिल नहीं हुए।
पारित प्रस्ताव में मांग की गई कि इजराइल बिना किसी देरी के कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्र में अपनी गैरकानूनी मौजूदगी को हटाये। ऐसा वर्तमान प्रस्ताव को अपनाने के 12 महीने के भीतर किया जाए।
भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के उस प्रस्ताव से खुद को अलग रखा जिसमें फिलिस्तीनी क्षेत्रों पर इजरायल के कब्जे को समाप्त करने की मांग की गई थी। संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव में इजरायल के खिलाफ प्रतिबंध और हथियार प्रतिबंध की भी मांग की गई।
संयुक्त राष्ट्र में इज़राइल के राजदूत डैनी डैनन ने प्रस्ताव को अपनाने को शर्मनाक निर्णय बताया और आरोप लगाया कि इस तरह के उपाय फिलिस्तीन में आतंकवादियों को कूटनीतिक रूप से समर्थन दे रहे हैं।
उन्होंने कहा कि महासभा अब इजराइल के 101 बंधकों और 7 अक्टूबर के नरसंहार की बरसी की मांग करने के बजाय आतंकवादियों की कार्रवाई का समर्थन कर रही है।
मतदान में हिस्सा नहीं लेने वालों में ब्रिटेन सहित ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, इटली, नेपाल और यूक्रेन शामिल हैं। इजराइल और अमरीका उन देशों में शामिल थे जिन्होंने प्रस्ताव के विरोध में मतदान किया।
गौरतलब है कि फिलिस्तीन की ओर से तैयार प्रस्ताव में इस बात पर जोर दिया गया कि ऐसे उल्लंघनों से क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा को गंभीर खतरा है। इसमें कहा गया है कि इजराइल को कब्जे वाले फलस्तीनी क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय कानून के किसी भी उल्लंघन के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।