इंडियन इंस्टीयूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी खड़गपुर के शोधकर्ताओं ने ओजोन परत में छिद्र के दावों का खंडन किया है।
अपने नए अध्ययन में इन शोधार्थियों ने उष्णकटिबंधीय वायुमंडल क्षेत्र में गंभीर ओजोन छिद्र के दावों का खंडन किया है। इसके साथ ही उस पिछले शोध के स्वास्थ्य संबंधी खतरों को भी नकारा गया है जिसमें ओजोन छिद्र के कारण उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में रहने वाली आबादी के स्वास्थ्य को लेकर खतरे की बात कही गई थी।
अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं के साथ किये गए इस अध्ययन के नतीजे एटमॉस्फेरिक केमिस्ट्री एंड फिजिक्स जर्नल में प्रकाशित किए गए हैं।
अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने पिछले 5 दशकों यानी 1980-से लेकर 2022 के मध्य उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में ओजोन की कमी और ओजोन में स्थानिक प्रवृत्तियों की जांच की है। इस जांच के लिए जमीनी, ओजोनसॉन्ड और उपग्रह ओजोन माप की पड़ताल की गई है।
बताते चलें कि ओजोनसॉन्ड छोटे, हल्के वजन वाले ऐसे टूल हैं जिन्हें मौसम के गुब्बारों पर उड़ाया जाता है। इस प्रक्रिया के तहत डाटा संचरण और तापमान, आर्द्रता, हवा और स्थिति को मापने के लिए रेडियोसॉन्ड के साथ इंटरफेसिंग इलेक्ट्रॉनिक्स के की मदद लेकर सटीक परिणाम हासिल किए जाते हैं।
अध्ययन से पता चला कि उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में महत्वपूर्ण ओजोन छिद्र के लिए कोई मजबूत साक्ष्य नहीं है। इन क्षेत्रों में औसत ओजोन स्तर ओजोन छिद्र को परिभाषित करने के लिए उपयोग की जाने वाली 220 डॉबसन इकाइयों की महत्वपूर्ण सीमा से काफी ऊपर है।
डॉबसन इकाई, ओजोन सांद्रता को मापने के प्रयुक्त एक आम इकाई है। ओजोन छिद्र को उस क्षेत्र के रूप में परिभाषित किया जाता है जहां ओजोन स्तंभ का मान 220 डॉबसन इकाइयों (डीयू ) या उससे कम होता है।
आम तौर पर वैश्विक स्तर पर औसत कुल ओजोन सांद्रता 300 डीयू के आस पास होती है। डॉबसन इकाइयों की माप से मिले साक्ष्य के आधार पर यह साबित हुआ है कि ओजोन परत में कोई गंभीर होल नहीं है।
यह अध्ययन ने शोधकर्ताओं द्वारा पूर्व में प्रयोग किए गए आंकड़ों में उच्च अनिश्चितता और कमियों की भी पहचान करता है और यह साबित करता है कि पूर्व में इसके कारण गलत निष्कर्ष सामने आए।
बताते चलें कि समताप मंडल के ओजोन का मुख्य काम यूवी किरणों को सोखना है, जो जीवित जीवों के लिए बहुत हानिकारक हो सकती हैं। वर्तमान अध्ययन के मुताबिक़, ध्रुवीय क्षेत्रों के बाहर ओजोन छिद्र बनने का कोई तात्कालिक खतरा नहीं है, जिससे उष्णकटिबंधीय आबादी को भी कोई स्वास्थ्य संबंधी खतरा नहीं है।