नीट और यूजीसी पेपर लीक विवाद पर उत्तर प्रदेश सरकार ने सख्त फैसला लिया है। अध्यादेश के मुताबिक़ पेपर लीक में आरोपी पाए जाने पर दो साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा एक करोड़ का जुर्माना भी देना पड़ेगा।
अध्यादेश के तहत पेपर लीक में दोषी पाए जाने पर उम्र कैद और एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगेगा।
मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में इस मामले के खिलाफ अध्यादेश के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई। दरअसल पेपर लीक मामले में युवाओं की नाराज़गी से सरकार की विश्वसनीयता पर असर पड़ा था। विपक्ष ने भी इस मामले पर जोरदार हमला जारी रखा है।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने पेपर लीक पर प्रतबंध लगाने के लिए कई क़दम उठाए हैं। कैबिनेट की बैठक 44 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है। नई नीति के ऐलान के साथ अब हर पाली में 2 या अधिक पेपर सेट जरूर होने चाहिए। इनमे से प्रत्येक सेट के प्रश्नपत्र की छपाई अलग एजेंसी के माध्यम से होगी। उम्मीदवार यदि 4 लाख से अधिक हैं, तो परीक्षा दो चरणों में आयोजित की जाएगी।
इसके अलावा पेपर कोडिंग को और व्यवस्थित करने के साथ चयन परीक्षाओं के सेंटर के लिए अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड वाले सुविधा संपन्न और वित्त पोषित शैक्षिक संस्थान को सेंटर बनाया जाएगा। इन सेंटर में सीसीटीवी की उचित व्यवस्था होगी। ये सेंटर राजकीय माध्यमिक, डिग्री कॉलेज, विश्वविद्यालय, पॉलिटेक्निक, इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज आदि होंगे।
इन हालत में योगी सरकार ने माफिया, अपराधियों की तरह ही इस मामले को गंभीरता से लेते हुए ये अहम फैसला किया है। कल होने वाली बैठक में पेपर लीक से जुड़े प्रस्तावों पर मुहर लग गई है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री की ओर से पेपर लीक को लेकर सख्त कार्रवाई के आदेश दिए गए थे।
गौरतलब है कि फ़रवरी में यूपी पुलिस की सिपाही भर्ती परीक्षा और उससे पहले आरओ तथा एआरओ का पेपर लीक हो चुका है। ऐसे में अध्यादेश के जरिए सरकार पेपर लीक के खिलाफ सख्त कानून के ज़रिए अपनी पोज़िशन और हालात को काबू करने की पूरी कोशिश कर रही है।