सबको समान अधिकार प्रदान करने के उद्देश्य से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा में विधेयक पेश किया। उत्तराखंड कैबिनेट द्वारा 4 फरवरी को समान नागरिक संहिता विधेयक को मंजूरी दी गई थी।
इस विधेयक से एक ऐसा कानून बनाया गया है, जो शादी, तलाक, विरासत और गोद लेने से जुड़े मामलों में सभी धर्मों पर सामान रूप से लागू हो सके।
मंगलवार को उत्तराखंड विधानसभा में पेश किये गए समान नागरिक संहिता विधेयक को जल्द ही सदन में मंजूरी मिल सकती है। राज्यपाल से मंजूरी मिलने के बाद विधेयक कानून बन जाएगा।
देश में गोवा के बाद उत्तराखंड ऐसा दूसरा राज्य होगा, जहाँ समान नागरिक संहिता लागू होगी। इस विधेयक को विधानसभा में पेश करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य में सबको समान अधिकार प्रदान करने हेतु हम सदैव संकल्पित हैं।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने मंगलवार को राज्य विधानसभा में समान नागरिक संहिता विधेयक पेश किया। इसे ‘समान नागरिक संहिता उत्तराखंड 2024’ नाम दिया गया है। इस में विवाह, विवाह-विच्छेदन और लिव इन रिलेशन सहित उत्तराधिकार सम्बन्धी कानूनों का उल्लेख किया गया है।182 पन्नों वाले इस कानूनी मसौदे में कई धाराएं और उप-धाराएं भी हैं।
उत्तराखंड की समान नागरिक संहिता में क्या?: गुलामी, दहेज से लेकर लिव-इन संबंध तक को लेकर समान कानून#UCC #UttarakhandCivilCode https://t.co/2rdlAYOTKa
— Amar Ujala (@AmarUjalaNews) February 6, 2024
मुख्यमंत्री के मुताबिक़, इस बिल का मकसद एक ऐसा कानून बनाना है, जो शादी, तलाक, विरासत और गोद लेने से जुड़े मामलों में सभी धर्मों पर सामान रूप से लागू हो।