रेक्जाविक: यूरोपीय देश आइसलैंड ज्वालामुखी के मैग्मा कक्ष में ड्रिलिंग करके वैज्ञानिक इतिहास में ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बनने की तैयारी कर रहा है।
2026 में, आइसलैंड की क्रिफला मैग्मा टेस्ट बेड (KMT) परियोजना देश के उत्तर-पूर्व में क्रिफला ज्वालामुखी के मैग्मा कक्ष की खुदाई करेगी।
ये चैम्बर सतह से डेढ़ से तीन किलोमीटर नीचे है। इसके ज़रिये आइसलैंड के घरों और इमारतों के लिए असीमित भू-तापीय ऊर्जा पैदा की जा सकेगी।
Journey to the centre of the Earth: Scientists reveal ambitious plans to drill a tunnel into a volcano's magma chamber – and claim it could unleash UNLIMITED energy https://t.co/gU8piZlQkb pic.twitter.com/4CfU0askUT
— Daily Mail Online (@MailOnline) January 4, 2024
प्रोजेक्ट मैनेजर जॉर्न थॉर के मुताबिक, पृथ्वी के केंद्र तक पहुंचने की यह पहली यात्रा होगी।
आइसलैंड पहले से ही बिजली पैदा करने के लिए टर्बाइन चलाने के लिए भू-तापीय ऊर्जा (geothermal energy) उत्पन्न कर रहा है। भू-तापीय ऊर्जा पृथ्वी के अंदर गहराई में बनने वाली ऊर्जा को कहते हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक यह हिस्सा बेहद गर्म होता है। यहाँ का तापमान 1300 डिग्री सेल्सियस तक है। हालाँकि, यह विधि सुरक्षित है और बताया जा रहा है कि ऐसा करने से दूसरा ज्वालामुखी विस्फोट नहीं होगा।