एनसीईआरटी की अगले सत्र में आने वाली नई किताबों में बदलाव देखने को मिलेंगे। बीते वर्ष गठित सात सदस्यों वाली समिति ने इसमें कुछ बदलाव की सिफारिशें की हैं। इस बदलाव के तहत सोशल साइंस की किताबों में रामायण और महाभारत को शामिल किये जाने की सिफारिश की है।
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद यानी एनसीईआरटी ने सोशल साइंस के स्कूली पाठ्यक्रम को संशोधित करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था। समिति द्वारा रामायण और महाभारत को पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने के साथ कक्षा की दीवारों पर संविधान की प्रस्तावना लिखने की सिफारिश की गई है।
#NCERT जल्द ही स्कूली #Textbooks में #Ramayana और #Mahabharata से जुड़े चैप्टर्स को शामिल कर सकती है। ये अध्याय एनसीईआरटी की सामाजिक विज्ञान की किताबों में शामिल किए जाने की योजना है। एनसीईआरटी की एक उच्च स्तरीय पैनल ने इसकी सिफारिश की है। https://t.co/8EJqdBzEZt
— Navjivan (@navjivanindia) November 21, 2023
समिति के अध्यक्ष सीआई इस्साक के मुताबिक़ कक्षा 7 से 12 तक के छात्रों के लिए रामायण और महाभारत पढ़ाना महत्वपूर्ण है। उनका कहना है कि समिति ने छात्रों को सामाजिक विज्ञान सिलेबस में रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों को पढ़ाने पर जोर दिया है। आगे वह यह भी कहते हैं कि इससे किशोरावस्था में छात्र अपने राष्ट्र के लिए आत्म-सम्मान तथा देशभक्ति और गौरव महसूस करता है।
समिति की सिफारिश पर पाठ्यक्रम सम्बन्धी सामग्री को अंतिम रूप देने के लिए 19-सदस्यीय नेशनल सिलेबल एंड टीचिंग लर्निंग मटेरियल समिति यानी एनएसटीसी जुलाई में विचार कर सकती है।
गौरतलब है कि एनसीईआरटी की नई किताबें अगले शैक्षणिक सत्र तक तैयार होने की संभावना है। एनसीईआरटी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप स्कूल के पाठ्यक्रम को संशोधित कर रहा है।