वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन ने हृदय रोग से मृत्यु दर में तेज वृद्धि की सूचना दी है। रिपोर्ट से पता चला कि पिछले 30 वर्षों में दुनिया भर में हृदय रोगों से मृत्यु दर में 60% की वृद्धि हुई है।
वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन की रिपोर्ट में कहा गया है कि 1990 में हृदय रोगों के कारण 12.1 मिलियन मौतें हुईं। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 2021 में दुनिया भर में 20 मिलियन मौतें दर्ज की गई हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, निम्न और मध्यम आय वाले देशों में हृदय रोगों से होने वाली मौतों में अधिक वृद्धि हुई है।
जीडीपी के प्रतिशत के रूप में स्वास्थ्य देखभाल पर किया जाने वाला अधिक खर्च दिल की बीमारी से होने वाली मृत्यु दर में कमी करता है।
यह रिपोर्ट गंभीर खतरे की पुष्टि के साथ बताती है कि कार्डियोवैस्कुलर बीमारी पूरी दुनिया में विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में होती है। समय से पहले 80% तक दिल के दौरे और स्ट्रोक को रोका जा सकता है।
रिपोर्ट से ये भी कि है ब्लड प्रेशर, वायु प्रदूषण, तंबाकू का उपयोग और उच्च एलडीएल कोलेस्ट्रॉल दिल की बीमारियों से होने वाली मौतों में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। रिपोर्ट में विशेषज्ञ एक सेहत में किये जाने वाले इन्वेस्टमेंट को लेकर महत्वपूर्ण लाभ बताते हैं। इसमें खुलासा होता है कि जीडीपी के प्रतिशत के रूप में स्वास्थ्य देखभाल पर किया जाने वाला अधिक खर्च दिल की बीमारी से होने वाली मृत्यु दर में कमी करता है।
डब्ल्यूएचओ की सिफारिशों के अनुसार, दिल की बीमारी से मृत्यु दर को कम करने में सहायता के लिए देशों को अपने सकल घरेलू उत्पाद का कम से कम 5% निवेश करना चाहिए। रिपोर्ट से ये भी पता चलता है कि दक्षिण एशिया में, स्वास्थ्य व्यय किये जाने वाले जीडीपी का प्रतिशत भारत में 2.9%, बांग्लादेश में 2.6%, भूटान में 3.6%, नेपाल में 4.4% और पाकिस्तान में 2.8% है।