देश में जैसे जैसे गर्मी बढ़ रही है उसी तरह से बिजली की कटौती भी बढ़ती जा रही है। इस बीच उत्तर प्रदेश सहित उत्तराखंड, बिहार, महाराष्ट्र, पंजाब, गुजरात, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, झारखंड, हरियाणा जैसे राज्यों में बिजली संकट बढ़ रहा है।
उत्तर प्रदेश में इस समय 19 से 20 हजार मेगावाट बिजली की आपूर्ति हो पा रही है। जबकि यहाँ 21 से 22 हजार मेगावाट बिजली की खपत है। इसका कारण कोयले की कमी है। बिजली कटौती होने से औद्योगिक गतिविधियां भी प्रभावित हो सकती हैं।
अनपरा में प्रदेश का सबसे बड़ा संयंत्र है। इस समय यहां चार से पांच दिन का कोयला स्टॉक में बचा है। रेल रैक से कोयले की आपूर्ति शुरू नहीं होने के कारण स्थितियां और मुश्किल नज़र आ रही हैं।
बीते एक हफ्ते में बिजली की मांग को देखते हुए आपूर्ति में 1.4 फीसदी की कमी देखने को मिली है। जबकि अक्तूबर में मांग और आपूर्ति में एक फीसदी की कमी हुई थी। बढ़ती गर्मी के कारण बिजली की मांग में भी बढ़ोत्तरी हुई है। अनुमान के मुताबिक मार्च 2023 तक बिजली की मांग 15.2 फीसदी तक बढ़ सकती है। इसे पूरा करने के लिए कोयले से चलने वाले संयंत्रों को उत्पादन में तक़रीबन 17.6 प्रतिशत तक बढ़ोत्तरी की ज़रूरत होगी।
कोयले के संकट का असर आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात जैसे राज्यों दिखाई देने लगा है। आंध्र प्रदेश में ऑटोमोबाइल और दवा कंपनियों के प्लांट काम करते हैं। यहाँ पर बिजली की मांग की तुलना में आपूर्ति 8.7 फीसदी कम हुई है। परिणामस्वरुप बिजली कटौती बढ़ी है। गाइडलाइन के अनुसार कोयले के 24 दिन के स्टॉक की ज़रूरत होती है मगर यहाँ के पावर प्लांट्स के पास पहली अप्रैल को मात्र नौ दिन की जरूरत के मुताबिक कोयले का स्टॉक बचा था।