समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव का पूरा फोकस अब उत्तर प्रदेश की सियासत पर होगा और इसके लिए उन्होंने लोकसभा पद से इस्तीफा दे दिया है। अखिलेश का इरादा है कि भाजपा सरकार के समक्ष एक मजबूत विपक्ष की भूमिका निभा सकें। इसे 2024 के लोकसभा चुनाव की तयारी से भी जोड़ा जा रहा है।
इन तमाम हालत को देखते हुए समाजवादी पार्टी की प्राथमिकता अब मज़बूत विरोधी दल का चुनाव करना है। अखिलेश चाहेंगे कि विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता के रूप में सरकार को हर जायज़ मुद्दे पर घेर सकें। अखिलेश ने करहल विधानसभा सीट से विधायक ये संदेश देने की कोशिश की है कि पारिवारिक व परंपरागत सीट से उनका सियासी लगाव है और इसे वह बरक़रार रखना चाहते हैं।
उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों पर पकड़ बनाने के लिए अखिलेश 2024 के लिए सियासी जमीन अभी से मजबूत करने में लग गए हैं। सपा के पांच सांसद 2019 के लोकसभा चुनाव में चुने गए थे।
सांसद होने के कारण अखिलेश का ज्यादातर वक्त दिल्ली में गुजरता था। इस इस्तीफे के उन्होंने इस दूरी को भी पाटने की कोशिश की है। वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव न जीत पाने के बाद अखिलेश केंद्र की राजनीति में लग गए थे जिसे उनकी हार की वजह में जोड़ा जा रहा है। उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों पर अभी से पकड़ बनाने के लिए अखिलेश 2024 के लिए सियासी जमीन अभी से मजबूत करने में लग गए हैं। सपा के पांच सांसद 2019 के लोकसभा चुनाव में चुने गए थे।