तुर्की के अंताल्या में रूस और यूक्रेन के विदेश मंत्रियों की हुई बातचीत का कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका है। रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले के बाद दोनों देशों के बीच यह अब तक की सबसे बड़े स्तर की बातचीत थी।
यूक्रेनी समकक्ष दमित्रो कुलेबा ने निराशा के साथ जानकारी दी है “कोई प्रगति नहीं” हुई है, यहां तक कि 24 घंटे के संघर्ष विराम पर भी।उन्होंने कहा – “ऐसा लगता है कि इस मामले पर फैसला लेने वाला रूस में कोई और है” इसके साथ ही कुलेबा ने यह भी दोहराया कि उनका देश पीछे नहीं हटेगा। कुलेबा ने कहा, “मैं यह दोहराना चाहता हूं कि यूक्रेन ने समर्पण नहीं किया था और समर्पण नहीं करेगा” कुलेबा ने बैठक को “कठिन” बताया और आरोप लगाया कि रूसी विदेश मंत्री यूक्रेन के बारे में “पारंपरिक बयान” के साथ ही टेबल पर आए थे। यूक्रेनी विदेश मंत्री ने लावरोव के साथ फिर इस फॉर्मेट में बात करने की बात कही है बशर्ते कोई बेहतर समाधान निकल सके।
रूस के विदेश मंत्री सर्गेइ लावरो और उनके यूक्रेनी समकक्ष डिमित्रो कुलेबा ने तुर्की के अंताल्या में बातचीत की। इस बैठक में तुर्की के विदेश मंत्री मेवलुत कोवुसोग्लु भी उपस्थित थे। दोनों पक्षों के बीच इस बैठक द्वारा संघर्ष विराम के समझौते की उम्मीद की जा रही थी।
बैठक ऐसे समय में हुई जब सारी दुनिया में यूक्रेन के बच्चों के अस्पताल पर हुई बमबारी के लिए नाराजगी है। यूक्रेन के मुताबिक इसमें कम से कम तीन लोगों की मौत हुई है और इनमे एक बच्चा भी शामिल है।
रूसी विदेश मंत्री ने यूरोपीय संघ और दूसरे देशों पर यूक्रेन को हथियारों की “खतरनाक सप्लाई” देने का आरोप लगाया है। तुर्की के एक पत्रकार ने सवाल किया कि क्या रूस दूसरे देशों पर भी हमले की योजना बना रहा है। इसके जवाब में लावरोव ने कहा- “हम दूसरे देशों पर हमले की योजना नहीं बनाते हैं और हमने यूक्रेन पर हमला नहीं किया है।”
इस बीच इस्राएल भी जेलेंस्की और पुतिन की बातचीत कराने की कोशिश कर रहे हैं। तुर्की यूक्रेन का पारंपरिक साझीदार है और उसने बायराक्टर ड्रोन की सप्लाई भी यूक्रेन को की है। यूक्रेन इनका इस्तेमाल मौजूदा युद्ध में कर रहा है। हालांकि तुर्की गैस के आयात पर निर्भरता और सैलानियों से होने वाली कमाई के कारण रूस के साथ भी अपने संबंध बेहतर बनाए रखना चाहता है। तुर्क राष्ट्रपति ने स्थायी संघर्ष विराम की उम्मीद जताई है।
रूसी विदेश मंत्री ने जोर दिया कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 24 फरवरी को यह ऑपरेशन इसलिए शुरू किया कि यूक्रेन, “रूसी फेडरेशन के लिए सीधा खतरा बन गया था।” कावुसोग्लु ने बताया कि कुलेबा ने इस बात की पुष्टि की है कि राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की पुतिन के साथ बैठक के लिए तैयार थे और लावरो ने भी कहा कि पुतिन सैद्धांतिक रूप से इसके खिलाफ नहीं हैं।
तुर्क विदेश मंत्री ने बैठक को एक अहम शुरूआत माना। उनके मुताबिक़ किसी को भी एक मुलाकात में करिश्मे की उम्मीद नहीं करनी चाहिए” यूक्रेन और रूस के बीच सुलह के लिए चल रहे कूटनीतिक प्रयासों में तुर्की की बातचीत भी एक कोशिश है।