किसान आंदोलन का 15वां दिन, केंद्र का प्रस्ताव किया खारिज तीन नए कृषि कानूनों को रद्द किए जाने की मांग पर अडिग किसानों ने केंद्र का प्रस्ताव खारिज कर दिया है. किसान आंदोलन का आज 15वां दिन है, इस बीच किसानों ने आंदोलन को और तेज करने की घोषणा की है.
बुधवार 9 दिसंबर को केंद्र सरकार ने किसान संगठनों को लिखित में प्रस्ताव पेश किए लेकिन उन्हें मनाने में वह नाकाम रही है. सरकार ने जो प्रस्ताव किसान संगठनों को भेजे हैं उनमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) आधारित मौजूदा खरीद व्यवस्था को जारी रखने का लिखित आश्वासन भी शामिल है. सरकार ने नए कृषि कानूनों में अन्य बहुत से बदलावों की भी पेशकश की, जिनमें विनियमित एपीएमसी के बाहर निजी मंडियों को पंजीकृत करने और शुल्क लगाने का राज्यों को अधिकार देना और मौजूदा विवाद समाधान व्यवस्था से संतुष्ट न होने पर किसानों को अदालत में जाने का विकल्प देना आदि शामिल हैं.
लेकिन किसानों की मांग है कि सरकार तीनों कृषि कानून को पूरी तरह से रद्द करे क्योंकि इससे कृषि के निजीकरण को बढ़ावा मिलेगा. उनकी दूसरी मांग है कि एमएसपी को गारंटी बनाया जाए, इसके लिए बिल लाकर कानून बनाया जाए, मंडी समितियों से किसान की उपज की खरीद प्रक्रिया बाधित नहीं होनी चाहिए. किसानों की मांग है कि बिजली संशोधन विधेयक 2020 नहीं लाया जाना चाहिए क्योंकि इससे किसानों को सब्सिडी नहीं मिल पाएगी. एक और अहम मांग किसानों की ओर से की गई है वह है कि पराली जलाने पर जो जुर्माने का प्रावधान है उसका उपयुक्त समाधान किया जाए.