इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना मोहर्रम होता है. इस महीने की 10 वीं तारीख को अशुरा का दिन कहते हैं. इसी दिन पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन और उनके 71 साथी शहीद हुए थे. इन शहीदों में सबसे छोटा शहीद 6 महीने के इमाम हुसैन के बेटे अली असगर थे. इस सभी को सिर्फ हक, इंसानियत और सच के रास्ते पर चलने की वजह से यजीद नाम के एक शासक द्वारा मार दिया गया था. इस वजह से मोहर्रम का पूरा महीना गम का महीना माना जाता है.
इमाम हुसैन की इस शहादत को आजतक कोई नहीं भुला पाया है. पीएम नरेंद्र मोदी ने भी इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए एक ट्वीट किया है. अपने ट्वीट में प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा, ”हम इमाम हुसैन (a.s.) के बलिदान को याद करते हैं. उनके लिए, सच्चाई और न्याय के मूल्यों से ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ नहीं था. समानता और निष्पक्षता पर उनका जोर उल्लेखनीय है और बहुतों को शक्ति देता है.”