तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोगान ने इंस्ताबूल के अया सोफिया म्यूज़ियम को मस्जिद बनाए जाने को एक एतिहासिक क़दम बताया और कहा कि यह पूरी दुनिया और मुसलमानों के लिए एक संदेश है।रजब तैयब अर्दोगान ने शुक्रवार की रात अया सूफिया म्यूज़ियम को मस्जिद में बदलने का आदेश जारी करने से पहले अपने एक भाषण में कहा कि म्यूज़ियम को मस्जिद बनाने के लिए ज़रूरी क़दमों की तैयारी कर ली गयी है।
उन्होंने कहा कि अया सूफिाय मस्जिद के दरवाज़े गैर मुस्लिमों के लिए भी खुले रहेंगे और मस्जिद का 24 तारीख को उद्घाटन किया जाएगा और सब को तुर्की के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करना चाहिए।
उन्होंने म्यूज़ियम को मस्जिद बनाए जाने के फैसले को तुर्की का आंतरिक मामला बताया और कहा कि इस फैसले में विदेशी हस्तक्षेप स्वीकारीय नहीं है।
तुर्की की सुप्रीम कोर्ट ने सन 1934 में इस देश के मंत्रिमंडल के उस फैसले को गलत क़रार दिया है जिसमें कहा गया था कि अया सूफिया म्यूज़ियम है।
अदालत के इस फैसले का अमरीका, फ्रासं जैसे कुछ देशों और यूनान के पादरियों की समिति और युनिस्को ने विरोध किया है।
अया सूफिया सन 324 से 337 तक राज करने वाले सम्राट कोन्स्तान्तिन प्रथम के आदेश से बनना आरंभ हुआ था लेकिन हालिया कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि अया सूफिया चर्च सम्राट कोन्स्तान्तिन द्वतीय के आदेश से बनाया गया था और 15 फरवरी सन 360 में उसका उद्घाटन हुआ।
बाद में एक बार उसमें आग लगी और फिर से उसे बनाया गया और 29 मई सन 1453 में कोन्स्तान्तिन पर ओटोमन शासक सुल्तान मुहम्मद फातेह की विजय तक यह ईसाइयों का महत्वपूर्ण चर्च रहा लेकिन कोन्स्तान्तिन पर विजय के बाद सुल्तान मुहम्मद ने उसी दिन इस चर्च को मस्जिद बनाए जाने का आदेश दिया और उसके बाद से लेकर सन 1934 में अतातुर्क द्वारा मस्जिद को म्यूज़ियम बनाए जाने के फैसले तक इस इमारत की निरंतर मरम्मत होती रही।
तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोगान के इस फैसले के बाद भारत में सोशल मीडिया पर बाबरी मस्जिद ट्रेंड कर रहा है और लोग इस पर एक दूसरे के भिड़ रहे हैं।